उत्तर प्रदेश
महाकुंभ 2025 को सुरक्षित और व्यवस्थित बनाने के लिए योगी सरकार ने अपनाई नई रणनीति
महाकुम्भ नगर। मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के रूप में विख्यात महाकुम्भ 2025 को आपदा मुक्त संपन्न करने के लिए योगी सरकार ने पूरी ताकत झोंक दी है। किसी भी तरह की अप्रिय घटना को रोकने और उससे निपटने के लिए पूरी तरह प्रशिक्षित और सक्षम फोर्स को तैनात कर दिया गया है। इसी क्रम में अब क्विक रिस्पॉन्स के साथ ही जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए इंसिडेंट रिस्पॉन्स सिस्टम (IRS) का गठन किया गया है। इसके तहत, मंडल, जनपद और मेला स्तर पर जिम्मेदारियां निर्धारित की गई हैं। मेला क्षेत्र के अंतर्गत किसी भी आपात स्थिति या आपदा के घटित होने पर रिस्पांसिबिल टीम तत्काल क्रियाशील हो जाएगी।
मण्डलायुक्त होंगे रिस्पॉन्सिबल अधिकारी
योगी सरकार के राजस्व विभाग द्वारा आईआरएस का गठन किया गया है। इसमें प्रयागराज मंडल के तहत
मण्डलायुक्त, प्रयागराज एवं अध्यक्ष, प्रयागराज मेला प्राधिकरण को रिस्पॉन्सिबल अधिकारी बनाया गया है। वहीं, पुलिस आयुक्त, प्रयागराज को सुरक्षा अधिकारी की जिम्मेदारी दी गई है। इसी तरह, जनपद स्तर पर जिला मजिस्ट्रेट, प्रयागराज एवं अध्यक्ष, डीडीएमए, प्रयागराज को इंसिडेंट कमाण्डर, अपर जिलाधिकारी को डिप्टी इंसिडेंट कमाण्डर और डीसीपी नगर, प्रयागराज को सुरक्षा अधिकारी नियुक्त किया गया है।
मेला क्षेत्र के लिए मेलाधिकारी होंगे इंसिडेंट कमाण्डर
मेला क्षेत्र के लिए मेला अधिकारी को इंसिडेंट कमाण्डर मेला क्षेत्र नियुक्त किया गया है। सहायक मेला अधिकारी को उप इंसिडेंट कमाण्डर, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, कुंभ मेला को सुरक्षा अधिकारी, एसडीएम सेक्टर को इसिडेंट कमाण्डर मेला सेक्टर और एडिशनल एसपी/डिप्टी एसपी, सेक्टर को सुरक्षा अधिकारी मेला सेक्टर निर्धारित किया गया है। इन सभी का मुख्य कार्य आपदा की स्थिति में तुरंत क्रियाशील होना होगा।
जारी हुई अधिसूचना
प्रमुख सचिव पी गुरुप्रसाद की ओर से इसकी अधिसूचना जारी कर दी गई है। जारी अधिसूचना के अनुसार, महाकुम्भ 2025, प्रयागराज के सुचारू संचालन के लिए मेले के आयोजन के दौरान किसी भी आपदा पर त्वरित, कुशल एवं प्रभावी गति से कार्यवाही सुनिश्चित किए जाने के लिए संगठनातमक संरचना के अनुसार प्रत्येक हितधारक/उत्तरदाता की भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को स्पष्ट किए जाने के उद्देश्य से इंसिडेंट रिस्पॉन्स सिस्टम (IRS) को महाकुम्भ मेला जनपद क्षेत्र के लिए गठित किया गया है। मेला क्षेत्र के अन्तर्गत किसी आपात स्थिति/आपदा के घटित होने पर यह रिस्पांसिबिल टीम क्रियाशील रहेगी।
उत्तर प्रदेश
यूपी ने बाजी मारी, टीबी नोटिफिकेशन में देश में अव्वल
लखनऊ: प्रदेश की झोली में एक और उपलब्धि आई है। ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) के मरीजों की पहचान व इलाज करने में उत्तर प्रदेश 2024 में भी अव्वल रहा है। प्रदेश को बीते साल साढ़े छह लाख मरीजों के चिन्हिकरण का लक्ष्य मिला था। उसके सापेक्ष 6.73 लाख मरीजों की पहचान की गई। ये रिकार्ड है। 2023 में भी प्रदेश ने साढ़े लाख मरीजों के लक्ष्य का आंकड़ा पार किया था। दूसरे स्थान पर महराष्ट्र व तीसरे स्थान पर बिहार का नाम दर्ज है। इसके बाद मध्यप्रदेश व राजस्थान ने नोटिफिकेशन किया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि देश-प्रदेश से टीबी उन्मूलन का एक ही तरीका है कि ज्यादा से ज्यादा मरीजों का चिन्हिकरण व इलाज किया जाए। इसी के मद्देनजर केंद्रीय टीबी डिवीजन ने सभी प्रदेशों को 2024 की शुरुआत में टीबी नोटिफिकेशन का लक्ष्य तय किया था। उत्तर प्रदेश को 6.5 लाख मरीज खोजने का लक्ष्य दिया गया था।
विभागीय आंकड़ों के मुताबिक 31 दिसंबर तक प्रदेश में 6 लाख 73 हजार टीबी मरीजों की पहचान हुई। इन सभी का इलाज शुरू हो चुका है। टीबी नोटिफिकेशन के लक्ष्य को छू पाने में प्राइवेट डाक्टरों की भूमिका भी सराहनीय रही है। प्रदेश में ढाई लाख से ज्यादा मरीजों की पहचान यानी तकरीबन 40 प्रतिशत मरीज प्राइवेट डाक्टरों के माध्यम से पंजीकृत हुए हैं।
उत्तर प्रदेश के बाद महराष्ट्र में सवा दो लाख मरीजों का पंजीकरण हुआ। तीसरे नंबर पर बिहार में दो लाख मरीज चिंहित किए जा सके। मध्य प्रदेश में 1.78 लाख व राजस्थान में 1.70 लाख मरीजों का चिन्हिकरण किया हुआ।
राज्य टीबी अधिकारी डॉ शैलेंद्र भटनागर ने इस उपलब्धि पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि शीर्ष नेतृत्व के मार्गदर्शन में पूरे वर्ष विभिन्न कार्यक्रम जैसे हर माह की 15 तारीख को एकीकृत निक्षय दिवस, एक्टिव केस फाइंडिंग (एसीएफ) अभियान व दस्तक अभियान चलाए गए जिससे हम ज्यादा से ज्यादा टीबी के लक्षण वाले मरीजों को खोज पाए। इस वक्त 100 दिवसीय सघन टीबी अभियान पूरे प्रदेश में चल रहा है जिसके माध्यम से उच्च जोखिम वाले व प्रिजेम्टिव टीबी वाले केसों को खोजने पर पूरे विभाग का ध्यान केंद्रित है।
टीबी का उन्मूलन प्राइवेट डाक्टरों की सहभागिता के बिना नहीं हो सकता। यह एक कड़वा सच है। उत्तर प्रदेश में मथुरा, आगरा, कानपुर, गोरखपुर व झांसी ने इस मामले में बेहतर प्रदर्शन किया है। लखनऊ, मेरठ, मुरादाबाद, बरेली व गाजियाबाद में भी प्राइवेट डाक्टर सक्रियता दिखा रहे हैं लेकिन श्रावस्ती में बीते साल सिर्फ 44 प्राइवेट नोटिफिकेशन हुए हैं।
इसके अलावा महोबा में 255, सोनभद्र में 374, चित्रकूट में 376, हमीरपुर में 380, कन्नौज में 444, सुल्तानपुर में 444, अमेठी में 447, संतरवीदास नगर में 456, चंदौली में 488 और कानपुर देहात में सिर्फ 468 प्राइवेट नोटिफिकेशन हुए हैं। इन जनपदों में प्राइवेट डाक्टरों की प्रतिभागिता बढ़े जाने की जरूरत है।
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