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अन्तर्राष्ट्रीय

अमेरिका ने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र समेत भारत के तीन शीर्ष परमाणु संस्थानों से हटाए प्रतिबंध

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नई दिल्ली। अमेरिका ने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बार्क) समेत भारत के तीन शीर्ष परमाणु संस्थानों से बुधवार को प्रतिबंध हटा लिया। इससे अमेरिका के लिए भारत को असैन्य परमाणु प्रौद्योगिकी साझा करने का रास्ता साफ हो जाएगा। बाइडन प्रशासन ने कार्यकाल के आखिरी हफ्ते और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन की भारत यात्रा के एक हफ्ते बाद यह घोषणा की। 1998 में पोकरण में परमाणु परीक्षण करने और परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर न करने पर अमेरिका ने यह प्रतिबंध लगाया था।

अमेरिका के उद्योग और सुरक्षा ब्यूरो (बीआईएस) के अनुसार, बार्क के अलावा इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र (आईजीसीएआर) और इंडियन रेयर अर्थ्स (आईआरई) पर से प्रतिबंध हटाया गया है। तीनों संस्थान भारत के परमाणु ऊर्जा विभाग के अंतर्गत काम करते हैं और परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में किए जाने वाले कार्यों पर निगरानी रखते हैं। बीआईएस ने कहा, इस निर्णय का उद्देश्य संयुक्त अनुसंधान और विकास तथा विज्ञान व प्रौद्योगिकी सहयोग सहित उन्नत ऊर्जा सहयोग में बाधाओं को कम करके अमेरिकी विदेश नीति के उद्देश्यों का समर्थन करना है, जो साझा ऊर्जा सुरक्षा जरूरतों और लक्ष्यों की ओर ले जाएगा। अमेरिका व भारत शांतिपूर्ण परमाणु सहयोग और संबंधित अनुसंधान और विकास गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

परमाणु समझौते का क्रियान्वयन होगा आसान

प्रतिबंध हटाने के फैसले को 16 साल पहले भारत और अमेरिका के बीच हुए नागरिक परमाणु समझौते के कार्यान्वयन को सुविधाजनक बनाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। दोनों देशों में 2008 में तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह और अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश के कार्यकाल के दौरान समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे।

भारत यात्रा पर सुलिवन ने प्रतिबंध हटाने की बात कही थी

अपनी भारत यात्रा के दौरान जैक सुलिवन ने कहा था, साझेदारी मजबूत करने के लिए बड़ा कदम उठाने का समय आ गया है। पूर्व राष्ट्रपति बुश और पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह ने 20 साल पहले असैन्य परमाणु सहयोग का दृष्टिकोण रखा था, लेकिन हम अभी भी इसे पूरी तरह से साकार नहीं कर पाए हैं।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

अन्तर्राष्ट्रीय

पाकिस्तान में मिला 28 लाख तोला सोना, अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत 600-700 अरब पाकिस्तानी रुपये

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नई दिल्ली। पाकिस्तान की पंजाब सरकार ने मंगलवार को दावा किया कि उसने प्रांत में 700 अरब पाकिस्तानी रुपये से अधिक मूल्य के ‘‘सोने के बड़े भंडार’’ का पता लगाया है. पंजाब के खान एवं खनिज मंत्री सरदार शेर अली गोरचानी ने कहा, ‘‘हमने पंजाब के अटक जिले में 28 लाख तोला सोना खोजा है.’’

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ने पिछले साल अटक में सोने के भंडार पर एक अध्ययन शुरू किया था और वहां भारी मात्रा में सोना होने का पता लगाया था.

मंत्री ने दावा किया, ‘‘अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने के भंडार की कीमत 600-700 अरब पाकिस्तानी रुपये है.’’

उन्होंने कहा कि सरकार ने सोने के भंडार की नीलामी के लिए नियम बना दिए हैं और यह प्रक्रिया एक महीने में शुरू हो जाएगी. पाकिस्तान के भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ने इस संबंध में अटक में 127 स्थलों पर नमूना संग्रह किया है.

पाकिस्तान की स्थिति अब हो जाएगी बेहतर!

ऐसा कहा जा रहा है कि पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति अब थोड़ी सुधर सकती है. अगर किसी देश की करेंसी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कमजोर है, तो सोने का भंडार उस देश की क्रय शक्ति और उसकी आर्थिक स्थिरता को बनाए रखने में मदद करता है. 1991 में जब भारत की इकोनॉमी डूब रही थी और उसके पास सामान इम्पोर्ट करने के लिए डॉलर नहीं थे तो उसने सोने को गिरवी रख पैसे जुटाए थे और इस फाइनेंशियल क्राइसिस से बाहर आया था.

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