नई दिल्ली। उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन एक बार फिर अपने अजीब फैसलों की वजह से चर्चा में हैं। ताज़ा मामला अंग्रेज़ी शब्दों पर बैन का है। उनका कहना है कि पश्चिमी संस्कृति का असर देश की सोच और समाज पर नहीं पड़ना चाहिए। इसी वजह से उन्होंने ‘आइसक्रीम’, ‘हैम्बर्गर’ और ‘कराओके’ जैसे आम शब्दों को भी प्रतिबंधित कर दिया है और इनके स्थान पर स्थानीय शब्दों का इस्तेमाल अनिवार्य कर दिया है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, वोनसान बीच रिसॉर्ट में काम करने वाले टूर गाइड्स को खास ट्रेनिंग दी जा रही है। इस ट्रेनिंग में उन्हें सरकारी नारे और नए शब्द याद करवाए जा रहे हैं। उदाहरण के लिए ‘हैम्बर्गर’ की जगह उन्हें कहना होगा – “दोहरी ब्रेड वाला ग्राउंड बीफ”, ‘आइसक्रीम’ को ‘एसुकिमो’ और ‘कराओके मशीन’ को “ऑन-स्क्रीन अकम्पेनिमेंट मशीन” कहा जाएगा।
यह कोई पहली बार नहीं है जब उत्तर कोरिया ने इस तरह की सख्ती दिखाई हो। विदेशी फिल्में और टीवी शो देखने तक पर वहाँ मौत की सजा दी जा चुकी है। 2023 में देश छोड़कर भागी एक महिला ने बताया था कि उसके दोस्तों को सिर्फ इसलिए फांसी दे दी गई क्योंकि उनके पास दक्षिण कोरियाई ड्रामे मौजूद थे।
संयुक्त राष्ट्र की हालिया रिपोर्ट में भी कहा गया है कि बीते दस सालों में विदेशी मीडिया पर पाबंदियाँ और कठोर हो गई हैं। घरेलू छापों, सार्वजनिक फाँसी और कड़ी सज़ाओं के ज़रिए लोगों को डर में रखा जाता है।
कोरोना महामारी के समय कुछ लोग अधिकारियों को रिश्वत देकर बाहर का कंटेंट देख पाते थे, लेकिन अब निगरानी और सख्त कर दी गई है। इसके बावजूद कई उत्तर कोरियाई नागरिक चोरी-छिपे यूएसबी स्टिक और अवैध रेडियो प्रसारण के जरिए विदेशी फिल्में और शो देखने का जोखिम उठाते हैं।