नई दिल्ली | राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के 100 वर्ष पूरे होने के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयंसेवकों को बधाई देते हुए एक विशेष लेख लिखा है। उन्होंने संघ को “अनादि राष्ट्र चेतना का पुण्य अवतार” बताया और कहा कि 1925 की विजयादशमी पर संघ की स्थापना भारत की हजारों वर्षों पुरानी राष्ट्र-चेतना का पुनर्स्थापन थी।
स्वयंसेवकों का सौभाग्य है शताब्दी वर्ष देखना
प्रधानमंत्री ने लिखा –“यह हमारी पीढ़ी के स्वयंसेवकों का सौभाग्य है कि हमें संघ के शताब्दी वर्ष का साक्षी बनने का अवसर मिला है। मैं राष्ट्रसेवा को समर्पित करोड़ों स्वयंसेवकों को शुभकामनाएं देता हूं और परम पूज्य डॉक्टर हेडगेवार को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।मोदी ने कहा कि संघ अपने गठन के बाद से ही राष्ट्र-निर्माण के विराट उद्देश्य के साथ आगे बढ़ा। इसके लिए उसने व्यक्ति-निर्माण से राष्ट्र-निर्माण का मार्ग चुना और इसकी कार्यपद्धति बनी शाखाएं।उन्होंने शाखा को “व्यक्ति-निर्माण की यज्ञ-वेदी” बताया, जिसने लाखों स्वयंसेवकों को गढ़ा और उन्हें समाज व राष्ट्र की सेवा के लिए तैयार किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि संघ के अस्तित्व में आने के बाद से ही उसकी प्राथमिकता हमेशा देश प्रथम रही।स्वतंत्रता संग्राम में डॉ. हेडगेवार सहित कई कार्यकर्ताओं ने भाग लिया।आज़ादी के बाद संघ ने राष्ट्र साधना की निरंतर यात्रा जारी रखी।अनेक साजिशों और प्रतिबंधों के बावजूद संघ ने कभी कटुता नहीं रखी और समाज को जोड़ने का काम किया।
समाज में आत्मबोध और समरसता का कार्य
मोदी ने लिखा कि संघ ने समाज के विभिन्न वर्गों में आत्मबोध और स्वाभिमान जगाने का काम किया।आदिवासी परंपराओं और मूल्यों को सहेजने में योगदान दिया।छुआछूत और भेदभाव के खिलाफ निरंतर संघर्ष किया। गुरुजी, बाला साहब देवरस, रज्जू भैया, केएस सुदर्शन और वर्तमान सरसंघचालक मोहन भागवत तक, सभी ने सामाजिक समरसता और एकता को प्राथमिकता दी।भागवत द्वारा दिए गए “एक कुआं, एक मंदिर और एक श्मशान” के लक्ष्य का भी पीएम मोदी ने उल्लेख किया।
पंच परिवर्तन: संघ का नया संकल्प
प्रधानमंत्री ने बताया कि आधुनिक चुनौतियों से निपटने के लिए संघ ने पंच परिवर्तन का संकल्प लिया है:
1. स्व-बोध – गुलामी की मानसिकता से मुक्त होकर स्वदेशी और अपनी विरासत पर गर्व।
2. सामाजिक समरसता – वंचितों को वरीयता देकर सामाजिक न्याय की स्थापना।
3. कुटुंब प्रबोधन – परिवार संस्कृति और मूल्यों को मजबूत बनाना।
4. नागरिक शिष्टाचार – प्रत्येक नागरिक में कर्तव्यबोध को जगाना।
5. पर्यावरण संरक्षण – आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को सुरक्षित करना।
मोदी ने कहा कि आज डेमोग्राफी में बदलाव और घुसपैठ जैसी चुनौतियां भी देश के सामने हैं और संघ इनसे निपटने के लिए ठोस रोडमैप लेकर आगे बढ़ रहा है।लेख के अंत में प्रधानमंत्री ने लिखा –“जब भारत 2047 में विकसित राष्ट्र के रूप में खड़ा होगा, तब संघ की अगली शताब्दी की यह यात्रा देश की ऊर्जा बढ़ाएगी और हर भारतीय को प्रेरित करेगी।