केरल हाई कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर से सोने की चोरी के आरोपों की जांच के लिए सोमवार को विशेष जांच दल (SIT) के गठन का आदेश दिया है। अदालत ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि जांच पूरी तरह गोपनीय रखी जाए और किसी भी तरह की जानकारी लीक न हो। इस विशेष जांच दल का नेतृत्व अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून एवं व्यवस्था) एच. वेंकटेश करेंगे। अदालत ने यह भी कहा कि एसआईटी को जांच अत्यधिक विवेक, पारदर्शिता और ईमानदारी के साथ करनी होगी।
जांच की प्रक्रिया और अदालत का आदेश
हाई कोर्ट ने निर्देश दिया कि 10 अक्टूबर 2025 को त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड (TDB) के मुख्य सतर्कता एवं सुरक्षा अधिकारी द्वारा रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद एसआईटी औपचारिक रूप से जांच का कार्यभार संभालेगी। जस्टिस राजा विजयाराघवन वी और जस्टिस केवी जयकुमार की खंडपीठ ने यह आदेश टीडीबी सतर्कता अधिकारी द्वारा सौंपी गई अंतरिम रिपोर्ट के आधार पर दिया।
मामला उन द्वारपालक (रक्षक देवता) की मूर्तियों से जुड़ा है जिनकी सोने की परतों के वजन में कमी पाई गई थी। पहले अदालत ने टीडीबी के मुख्य सतर्कता अधिकारी को इस मामले की जांच का निर्देश दिया था। पिछले सप्ताह ही हाई कोर्ट ने मंदिर की सभी कीमती वस्तुओं की एक विस्तृत सूची तैयार करने का आदेश दिया था। यह कार्य सेवानिवृत्त जस्टिस के.टी. शंकरन की देखरेख में किया जा रहा है।
यह पूरा मामला 2019 से जुड़ा है, जब टीडीबी ने मूर्तियों से सोने की प्लेटें हटाई थीं। विवाद तब बढ़ा जब उनिकृष्णन पोटी नामक व्यक्ति ने दावा किया कि उसी वर्ष मंदिर को दान की गई दो सोने की प्लेटें गायब हो गई हैं। मूर्ति की इलेक्ट्रोप्लेटिंग के लिए उन्हें चेन्नई की एक निजी कंपनी को भेजा गया था। इसके बाद अदालत ने टीडीबी की सतर्कता इकाई को कम वजन वाले सोने के मामले की जांच करने के निर्देश दिए थे। अब एसआईटी की जांच से यह स्पष्ट होगा कि मंदिर से सोना वास्तव में चोरी हुआ या कहीं प्रक्रिया में ही गड़बड़ी हुई।