उत्तर प्रदेश में 76वां जिला बनाने की तैयारी शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसकी घोषणा की है। नया जिला ‘कल्याण सिंह नगर’कहलाएगा, जो अलीगढ़ और बुलंदशहर के कुछ हिस्सों को मिलाकर बनाया जाएगा। यह इलाका पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की जन्मभूमि और कर्मभूमि रहा है, इसलिए जिले का नाम उनके सम्मान में रखा जा रहा है।हालांकि सरकार ने अभी तक विधानसभा में इस संबंध में कोई औपचारिक प्रस्ताव पेश नहीं किया है, लेकिन मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद माना जा रहा है कि प्रस्ताव जल्द ही सदन में लाया जाएगा।
भारत में जिलों की स्थिति
वर्तमान में देश में 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों में कुल 797 जिले हैं। 1947 में जब भारत स्वतंत्र हुआ था, तब केवल करीब *230 जिले* थे। आज़ादी के समय उत्तर प्रदेश, जिसे तब ‘संयुक्त प्रांत’ कहा जाता था, में लगभग 35 से 38 जिले थे।
पिछले दस सालों में सबसे अधिक जिले कहां बने
2015 से 2025 के बीच राजस्थान ने सबसे अधिक 19 नए जिलों का गठन किया है। आंध्र प्रदेश ने भी एक बार में 19 नए जिले बनाए, जबकि
मध्य प्रदेश में पिछले दो दशकों में 10 नए जिले जोड़े गए हैं। पश्चिम बंगाल ने 2022 में 7 नए जिलों के गठन की घोषणा की थी। कुल मिलाकर देश में बीते दस वर्षों में 40 से अधिक नए जिले बनाए गए हैं।
नए जिले बनाने का अधिकार किसके पास होता है
राज्यों को यह अधिकार है कि वे मौजूदा जिलों का पुनर्गठन करें या नए जिले बनाएं। यह प्रक्रिया या तो कार्यकारी आदेश के ज़रिए या फिर राज्य विधानसभा में कानून पारित करके की जाती है। कई राज्य केवल राजपत्र अधिसूचना जारी कर नए जिले घोषित कर देते हैं।
नए जिले क्यों बनाए जाते हैं
राज्यों का मानना है कि छोटे जिले बेहतर प्रशासन, शीघ्र सेवा वितरण और विकास कार्यों की निगरानी में सहायक होते हैं। हालांकि, इससे प्रशासनिक दक्षता में कितना सुधार होता है, यह आंकड़ों से तय करना मुश्किल है।
केंद्र सरकार की भूमिका
नए जिले के गठन या उसके नामकरण में केंद्र सरकार की सीधी भूमिका नहीं होती। लेकिन जब कोई राज्य किसी जिले या रेलवे स्टेशन का नाम बदलता है, तो गृह मंत्रालय इसकी प्रक्रिया का हिस्सा बनता है। इसके तहत राज्य सरकार का प्रस्ताव विभिन्न मंत्रालयों जैसे पृथ्वी विज्ञान, खुफिया ब्यूरो, डाक विभाग, सर्वे ऑफ इंडिया और रेल मंत्रालय को भेजा जाता है। उनकी मंजूरी के बाद अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) जारी किया जाता है।
जिलों के गठन का रुझान
2011 की जनगणना में भारत में 593 जिले दर्ज किए गए थे। 2001 से 2011 के बीच 46 नए जिले बने। 2015 से 2025 के दौरान करीब 40 नए जिलों का गठन हुआ है।
एक नया जिला बनाने की लागत
एक नया जिला बनाने में औसतन 2000 करोड़ रुपये तक का खर्च आता है। इसमें प्रशासनिक भवन, सड़कें, जल-विद्युत व्यवस्था, कर्मचारियों की नियुक्ति और अन्य आधारभूत ढांचा शामिल होता है।सिर्फ जिला मुख्यालय, न्यायालय, जिला परिषद, शिक्षा और स्वास्थ्य विभागों के भवनों के निर्माण पर लगभग 500 करोड़ रुपये तक खर्च होता है। शेष राशि सड़क, पानी और अन्य सुविधाओं पर खर्च की जाती है। राजस्थान सरकार ने 2023-25 के दौरान अपने नए जिलों के लिए करीब 1000 करोड़ रुपये का बजट रखा था।
देश का सबसे बड़ा और सबसे छोटा जिला
भारत का सबसे बड़ा जिला गुजरात का कच्छ है, जिसका क्षेत्रफल लगभग 45,674 वर्ग किलोमीटर है। सबसे छोटा जिला पुडुचेरी केंद्रशासित प्रदेश का माहे है, जिसका क्षेत्रफल मात्र 9 वर्ग किलोमीटर है।
नए जिले की प्रक्रिया और आवश्यक शर्तें
राज्य सरकार की अधिसूचना के बाद सामान्यतः 3 से 6 महीने में नया जिला प्रशासनिक रूप से कार्य करने लगता है।
नए जिले के गठन के लिए कुछ मानक निर्धारित होते हैं न्यूनतम आबादी लगभग 2 लाख होनी चाहिए (क्षेत्र विशेष के अनुसार बदल सकती है)।
पर्याप्त क्षेत्रफल, सिंचाई और परिवहन व्यवस्था होनी चाहिए।प्रशासनिक ढांचा जैसे कलेक्ट्रेट, पुलिस थाना, न्यायालय, शिक्षा-स्वास्थ्य संस्थान, पंचायत या नगरपालिका भवन आदि मौजूद होने चाहिए।कम से कम 3-4 तहसीलें या उपखंड शामिल हों।
नए जिले में सबसे पहले तैनाती
नए जिले में सबसे पहले डीएम (जिलाधिकारी और एसपी (पुलिस अधीक्षक) की तैनाती की जाती है। इसके बाद बजट आबंटन, स्टाफिंग और इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास का काम शुरू होता है। जिन जिलों से नया जिला बनाया जाता है, वहां से संसाधनों और कर्मचारियों का बंटवारा किया जाता है।अगर योगी सरकार की घोषणा पर जल्द अमल होता है, तो उत्तर प्रदेश का नया जिला ‘कल्याण सिंह नगर’ राज्य की प्रशासनिक इकाइयों में एक और महत्वपूर्ण जोड़ साबित होगा, जो पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की विरासत को भी सम्मान देगा।