राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार को हरियाणा के अंबाला एयर फोर्स स्टेशन से राफेल लड़ाकू विमान में उड़ान भरी। उड़ान से पहले उन्हें एयरबेस पर गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। इस अवसर पर भारतीय वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह भी मौजूद रहे।
भारत ने हाल ही में 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान राफेल विमानों का इस्तेमाल किया था। इस ऑपरेशन में पाकिस्तान के कब्जे वाले इलाकों में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया था।
राष्ट्रपति का दूसरा लड़ाकू विमान अनुभव
राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी बयान के अनुसार, द्रौपदी मुर्मू का यह दूसरा मौका है जब उन्होंने किसी लड़ाकू विमान में उड़ान भरी। इससे पहले, 8 अप्रैल 2023 को उन्होंने असम के तेजपुर एयरबेस से सुखोई-30 एमकेआई में उड़ान भरी थी। वह ऐसा करने वाली भारत की तीसरी राष्ट्रपति बनी थीं।
राफेल विमान का महत्व
फ्रांसीसी कंपनी दसॉ एविएशन द्वारा निर्मित राफेल फाइटर जेट सितंबर 2020 में भारतीय वायुसेना में शामिल हुआ था। पहला बैच 27 जुलाई 2020 को फ्रांस से भारत पहुंचा था और इन विमानों को 17वीं स्क्वाड्रन ‘गोल्डन एरोज’ में शामिल किया गया। अंबाला एयरबेस राफेल विमानों का प्रमुख संचालन केंद्र है।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ में राफेल की अहम भूमिका
7 मई को शुरू हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में राफेल विमानों ने पाकिस्तान के नियंत्रण वाले क्षेत्रों में आतंकियों के ठिकानों को निशाना बनाया था। इन हवाई हमलों के बाद चार दिन तक सैन्य झड़पें जारी रहीं, जो 10 मई को संघर्षविराम समझौते के साथ समाप्त हुईं।राष्ट्रपति मुर्मू की यह उड़ान न केवल भारतीय वायुसेना की क्षमता का प्रतीक है, बल्कि देश की सुरक्षा व्यवस्था में महिलाओं की बढ़ती भूमिका को भी दर्शाती है।