मुंबई। महाराष्ट्र में एक सप्ताह से चल रहे सियासी ड्रामे के बीच नए समीकरण बनते दिख रहे हैं। खबर है कि शिवसेना का बागी एकनाथ शिंदे गुट राजनीति के नए विकल्प तलाश रहा है।
दरअसल, शिंदे गुट ठाकरे नाम और हिंदुत्व दोनों नहीं छोड़ना चाहता है। ऐसे में एकनाथ शिंदे गुट के 38 विधायक राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) में शामिल हो सकते हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार एकनाथ शिंदे ने इस मसले पर राज ठाकरे से दो बार फोन पर बातचीत भी की है। हालांकि कहा जा रहा है शिंदे ने राज ठाकरे की तबीयत जानने के लिए उन्हें फोन किया था, लेकिन इसकी असली वजह यही बताई जा रही है कि शिंदे गुट मनसे में शामिल होकर राज्य में राजनीति के नए समीकरण गढ़ना चाहता है।
गुपचुप हुई मुलाकात में तय हो गया था सब
रिपोर्ट्स की मानें तो शिंदे गुट का मनसे में विलय दो दिन पहले देवेंद्र फडणवीस से एकनाथ शिंदे की गुपचुप मुलाकात में ही तय हो गया था। सूत्रों का कहना है कि इस बैठक में गृहमंत्री अमित शाह भी शामिल हुए थे। यहीं से नई रणनीति पर चर्चा हुई थी। हालांकि, भाजपा अभी भी शिंदे गुट के मनसे में विलय को लेकर संशय में है। इसकी वजह राज ठाकरे के तेवर हैं।
क्यों पड़ रही विलय जरूरत?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, भले ही एकनाथ शिंदे के पास शिवसेना के 38 बागी विधायकों का समर्थन हो, लेकिन नई पार्टी के रूप में उनको मान्यता मिलना आसान नहीं है। शिंदे गुट राष्ट्रपति चुनाव से पहले इस मसले को हल करना चाहता है। इसलिए, उसके लिए सबसे आसान यही है कि वह राज ठाकरे की पार्टी मनसे में विलय कर ले। ऐसे में उसके पास ठाकरे नाम भी बचा रहेगा और हिंदुत्व का एजेंडा भी।