मुंबई। 1993 के मुंबई बम विस्फोट मामले के प्रमुख आरोपी गैंगस्टर दाऊद इब्राहिम और उसके सहयोगियों की गतिविधियों से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री नवाब मलिक को करारा झटका लगा है। आज बुधवार को उनकी जमानत याचिका को यहां की एक विशेष अदालत ने सुनवाई के बाद खारिज कर दिया।
विशेष न्यायाधीश आरएन रोकड़े ने 14 नवंबर को दोनों पक्षों की लंबी दलीलों को सुनने के बाद मलिक की जमानत याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। अदालत ने पहले कहा था कि वह अपना आदेश 24 नवंबर को सुनाएगी।
हालांकि, उस दिन अदालत ने यह कहते हुए मामले को 30 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दिया कि आदेश तैयार नहीं था। बता दें कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इस साल फरवरी में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता को गिरफ्तार किया था। वह न्यायिक हिरासत में है और फिलहाल यहां एक निजी अस्पताल में उसका इलाज चल रहा है।
मलिक ने जुलाई में दायर की थी याचिका
मलिक ने जुलाई में विशेष अदालत के समक्ष नियमित जमानत याचिका दायर की थी। राकांपा नेता ने यह कहते हुए जमानत मांगी कि मनी लॉन्ड्रिंग के लिए उन पर मुकदमा चलाने के लिए उनके खिलाफ कोई विधेय अपराध नहीं है। हालांकि, ईडी ने इसका विरोध कर दिया।
ईडी ने दावा किया कि आरोपी दाऊद इब्राहिम और उसकी बहन हसीना पारकर के साथ काम कर रहा था और उसके निर्दोष होने का कोई सवाल ही नहीं है। मलिक के खिलाफ ईडी का मामला एनआईए द्वारा दाऊद इब्राहिम, एक नामित वैश्विक आतंकवादी और 1993 के मुंबई बम विस्फोट मामले के प्रमुख आरोपी और उसके सहयोगियों के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत दायर प्राथमिकी पर आधारित है।