कोलकाता। पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाले में ईडी का एक्शन ‘नोटों के पहाड़’ और तमाम कागजों के मिलने के बीच फ्लैट नंबर 503 पर आकर रुक गई है। ईडी की टीम यह सुराग लगाने में जुटी है कि आखिर इस फ्लैट का राज क्या है, लेकिन इसे खोलने में कामयाबी नहीं मिल रही है।
पांडित्या रोड अपार्टमेंट के इस फ्लैट में गुरुवार को एक बार फिर ईडी की टीम पहुंची थी, लेकिन इसका ताला नहीं खुलवाया जा सका। ईडी की टीम सबसे पहल रबिंद्र सरोवर पुलिस थाने पहुंचे। वहां पुलिसकर्मियों और ताला खोलने वाले को साथ लेकर ईडी की टीम फ्लैट पर गई। इस दौरान दरवाजा तोड़ने की कोशिश भी बेकार साबित हुई।
इसके बाद अफसरों ने एसोसिएशन के सेक्रेट्री से संपर्क किया। सेक्रेट्री ने उन्हें बिल्डिंग के लिए ताला बनाने वाले से भी मिलवाया, इसके बावजूद अफसरों को कामयाबी नहीं मिली। रिपोर्ट के मुताबिक पड़ोसियों का कहना है कि इस फ्लैट में करीब पांच साल से ताला बंद है। हालांकि कई बार मालिकों के बदलने से अब इसकी चाबी ढूंढने में मुश्किल आ रही है।
2012 से है जान-पहचान
ईडी अफसरों का मानना है कि भले ही इस प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री अलग-अलग लोगों के नाम पर है लेकिन यह पार्थ चटर्जी और अर्पिता मुखर्जी की बेनामी संपत्ति है। अभी तक ईडी को इस मामले में एक कंपनी के कागजात मिले हैं जो पार्थ और अर्पिता की पार्टनरनशिप में 2012 से चल रही है।
इसके अलावा दो ज्वॉइंट बैंक अकाउंट्स जिनसे उस कंपनी के लिए चार फ्लैट खरीदे गए, शांति निकेतन में 2012 में खरीदी गई जमीन के पेपर, और अर्पिता के नाम की 31 इंश्योरेंस पॉलिसीज, जिनमें पार्थ नॉमिनी हैं भी ईडी को मिली हैं। इससे साबित होता है कि साल 2012 से इन दोनों की जान-पहचान है।