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विपरीत परिस्थितियों में धैर्य से काम करते हुए चुनौती को करना होगा स्वीकार: मुख्यमंत्री योगी

लखनऊ| मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि विपरीत परिस्थिति में निर्णय लेने का सामर्थ्य विकसित करना चैलेंज होता है। ऐसी स्थिति में बहुत सारे लोग हाथ-पैर छोड़ देते हैं, मानकर चलते हैं कि जो होना होगा, देखा जाएगा, लेकिन विपरीत परिस्थितियों में धैर्य से काम करते हुए चैलेंज को फेस करने को तैयार होना पड़ेगा। महाकुम्भ में यही किया गया, तब जाकर सकुशल महाकुम्भ संपन्न हो सका। उन्होंने कहा कि संतों, श्रद्धालुजन व व्यवस्था से जुड़े लोगों से संवाद-समन्वय स्थापित करना पड़ता है।

मुख्यमंत्री सोमवार को आईआईएम व भारतीय डाक सेवा के अधिकारियों के साथ महाकुम्भ के सफल आयोजन द्वारा राष्ट्र निर्माण विषय पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए। इस दौरान महाकुम्भ से संबंधित वीडियो फिल्म भी प्रदर्शित की गई।

लीक से हटकर काम करते हैं तो वह स्मरणीय बनता है

सीएम ने कहा कि 2019 में हमारी सरकार ने प्रयागराज कुम्भ को संपन्न किया था। कुंभ सामान्य रूप से हजारों वर्षों की भारत की विरासत का हिस्सा रहा है, लेकिन लोग कुम्भ का मतलब भगदड़, अव्यवस्था, गंदगी मान चुके थे। हमने तय किया कि आज के समय में लोगों की इस धारणा के विपरीत कुछ नया करके दिखाएं, क्योंकि जब हम लीक से हटकर काम करते हैं, तभी वह स्मरणीय बनता है।

समस्या से बहाना और समाधान से रास्ते मिलते हैं

सीएम ने कहा कि हम समस्या के बारे में ज्यादा सोचते हैं। इससे हमें बहाना मिलता है, लेकिन समाधान की तरफ जाते हैं तो अनेक रास्ते मिलते हैं। समाधान ही इनोवेशन है।

2013 में मॉरीशस के प्रधानमंत्री ने गंदगी देखकर नहीं किया था गंगा स्नान

सीएम ने कहा कि सीएम ने कहा कि जब 2013 में कुम्भ का आयोजन हुआ था, तब मैं योगी के रूप में प्रयागराज में अपने शिविर में था। अगले दिन समाचार पत्रों की लीड न्यूज थी कि मॉरीशस के प्रधानमंत्री कुम्भ में आए, लेकिन गंगा जी में गंदगी को देखकर स्नान नहीं किया और टिप्पणी की कि क्या यही गंगा हैं, फिर दूर से प्रणाम करके चले गए। मेरे मन में यह बात आई कि एक देश के राष्ट्राध्यक्ष आए और उनकी भावना आहत हुई। इसका मतलब हमारे आयोजन में कोई कमी थी। इसका निवारण होना चाहिए।

स्वच्छता पर था विशेष जोर

सीएम ने कहा कि यह आयोजन गंगा तट पर बालू में होता है। शौचालय शीट को बालू में ऐसे डाल दिया जाता था। सप्ताह-दस दिन बाद बदबू, मक्खी, मच्छर और बीमारी होने लगती थी। फिर मैंने कहा कि ऐसे टॉयलेट बनाएं, जिसकी नियमित सफाई हो सकें। हम लोगों ने एक लाख टॉयलेट-टैंक तैयार कराए। कहा कि एक भी टॉयलेट का लिक्विड गंगा-यमुना में नहीं जाना चाहिए। इसकी नियमित सफाई कराई गई।

क्राइसिस मैनेजमेंट में पुलिस का सर्वाधिक महत्वपूर्ण रोल

सीएम ने कहा कि इतना बड़ा आयोजन तब सकुशल संपन्न होगा, जब सुरक्षा, क्राउड मैनेजमेंट की समुचित व्यवस्था हो। हर किसी के मन में यह विश्वास हो कि पुलिस हमें सुरक्षा दे सकती है। किसी भी क्राइसिस मैनेजमेंट में पुलिस का सबसे महत्वपूर्ण रोल होता है। उनका व्यवहार बहुत मायने रखता है। पुलिस के लिए चार महीने स्पेशल कोर्स चलाए गए।

2019 प्रयागराज कुम्भ ने दिया था स्वच्छता व सुव्यवस्था का संदेश

सीएम ने कहा कि महाकुम्भ का आयोजन होगा, तो भीड़ होगी। जो पहले आएंगे, उन्हें कम पैदल चलना होगा, क्योंकि उन्हें संगम से दो-तीन किमी. के दायरे में पार्किंग देंगे, लेकिन जैसे-जैसे पार्किंग भर ती जाएगी, तो लोगों को अधिक पैदल चलना होगा। जो 10 किमी. पैदल चलेगा और पुलिस उसे रोकेगी तो झल्लाएगा ही। 2019 प्रयागराज कुम्भ ने स्वच्छता व सुव्यवस्था का संदेश दिया था।

महाकुम्भ 2025 में उम्मीद से अधिक भीड़ आई

सीएम ने कहा कि 2025 महाकुम्भ में इतनी भीड़ का अंदाजा हमें भी नहीं था। संभावना थी कि 2019 की अपेक्षा दोगुनी भीड़ होगी, लेकिन श्रद्धालुओं की संख्या ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए।

2025 महाकुम्भ में पहले से हुआ दोगुना कार्य

सीएम ने कहा कि 2025 महाकुम्भ से पहले प्रयागराज में उससे दोगुना कार्य हुआ। पब्लिक व जनप्रतिनिधियों का विश्वास मिला। यह विश्वास अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। सीएम ने बताया कि हमने मेले के दायरे समेत सभी व्यवस्थाओं को बढ़ाया। पांच हजार एकड़ में हर रूट पर छह अलग-अलग पार्किंग स्पेस दिए गए। इसमें छह लाख बस व चार पहिया वाहन पार्क किया जा सकता है। मुझे आशंका थी कि भीड़ बढ़ेगी। इस एरिया को बढ़ाना पड़ेगा, लेकिन प्रयागराज के आसपास स्पेस नहीं था, इसलिए आसपास के मीरजापुर, भदोही, कौशांबी, जौनपुर, फतेहपुर, कौशांबी, प्रतापगढ़, चित्रकूट, रायबरेली में पार्किंग स्पेस और होल्डिंग एरिया तैयार किए। 2013 में रेलवे स्टेशन पर भगदड़ में 42 लोगों की मौत हुई थी। मुख्य जंक्शन के साथ 9 अन्य रेलवे स्टेशनों व एयरपोर्ट का विस्तारीकरण किया गया।

विशुद्ध धार्मिक होते हैं ऐसे आयोजन

सीएम ने कहा कि ऐसे आयोजन विशुद्ध धार्मिक होते हैं। हर स्नानार्थी श्रद्धाभाव से आता है। उसे गंतव्य तक पहुंचने का मार्ग दीजिए। यदि बाधित करने का प्रयास करेंगे तो अगल-बगल के क्षेत्र में बिखरेगी और वहां होल्डिंग एरिया नहीं है तो भगदड़ के खतरे होते हैं। धार्मिक भीड़ अनुशासित होती है। 28-29 की रात सवा एक से डेढ़ बजे के मध्य भगदड़ की घटना हुई। उस दौरान मेला क्षेत्र में चार करोड़ लोगों की भीड़ थी। जैसे ही भगदड़ हुई 15 मिनट के अंदर पब्लिक ने ग्रीन कॉरिडोर दिया और सभी को हॉस्पिटल पहुंचाने में मदद की।

आस्था के साथ आर्थिकी का भी कारण बनते हैं ऐसे आयोजन

सीएम योगी ने कहा कि ऐसे आयोजन आस्था के साथ आर्थिकी का भी कारण बन सकता है। देश-प्रदेश की अर्थव्यवस्था में योगदान दे सकते हैं। जिसे अब तक हम नजरंदाज करते थे, आज वह देखने को मिल रहा है। 13 जनवरी (पौष पूर्णिमा) के स्नान से महाकुम्भ प्रारंभ और 26 फरवरी को महाशिवरात्रि से इसका समापन हुआ। बालू में चलना आसान नहीं होता, मेला क्षेत्र में जो चकर्ड प्लेट बिछाई गईं, उनकी लंबाई 500 किमी. थी। रिवर फ्रंट तैयार किए। 12 किमी. का अस्थायी व कुछ पक्के घाट भी बनाए गए।

पहली बार महाशिवरात्रि तक चला मेला

सीएम ने कहाकि अक्सर कुम्भ के दौरान अक्सर बसंत पंचमी स्नान के बाद मेला प्रायः समाप्त हो जाता था। माघ पूर्णिमा तक केवल कल्पवासी बचते थे। पहली बार मेला महाशिवरात्रि तक चला। मौनी अमावस्या के बाद प्रतिदिन डेढ़ से पौने दो करोड़ लोग आ रहे थे। बसंत पंचमी पर लगभग तीन करोड़ व माघ पूर्णिमा पर दो करो़ड़ की संख्या थी। अन्य दिनों में डेढ़ से पौने दो करोड़ की संख्या आती रही।

100 से अधिक देशों की हुई भागीदारी

सीएम ने कहा कि राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, अनेक केंद्रीय मंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, 74 देशों के अंबेडसर व हाई कमिश्नर्स, भूटान के नरेश, 12 देशों के मंत्री समेत लगभग 100 से अधिक देशों की भागीदारी हुई थी। उद्यमी, फिल्म स्टार, क्रिकेटर समेत हर तबका इसका हिस्सा बने थे। अद्भुत संगम के दृश्य को देखकर हर कोई अभिभूत था।

प्रयागराज के बहुत सारे सबक भी हैं

सीएम ने कहा कि प्रयागराज के बहुत सारे सबक भी हैं। गीता में भगवान कहते हैं कि जो मुझे जिस रूप में भजता है, उसे मैं उसी रूप में दिखाई देता हूं। महाकुम्भ को जिसने जिस रूप में देखा, उसे उसी रूप में दिखा। मुख्यमंत्री ने दुनिया के नामचीन अखबारों की लिखी खबरों व यूनेस्को की टिप्पणी का भी जिक्र किया। हमने डिजिटल टूरिस्ट मैप भी जारी किया था। जिसके माध्यम से हर जानकारी भी प्राप्त की जा सकती थी। 2700 कैमरों लगाए गए, जिनका 360 डिग्री तक इस्तेमाल किया जा सकता था। आईसीसीसी से हमने मॉनीटरिंग की। एंटी ड्रोन सिस्टम के साथ कुम्भ क्षेत्र को कवर करके रखा, किसी आयोजन में ऐसा पहली बार हुआ।

एक भारत-श्रेष्ठ भारत की अभिव्यक्ति का भी माध्यम बना महाकुम्भ

मुख्यमंत्री ने कहाकि यह आयोजन प्रधानमंत्री जी के ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ की अभिव्यक्ति का भी माध्यम बना। जाति, धर्म, भाषा, पंथ के भेद से मुक्त नदी के एक ही घाट पर सभी पवित्र भावना के साथ डुबकी लगा रहे थे। केंद्र व राज्य सरकार ने साढ़े सात हजार करोड़ रुपये खर्च किए। इसमें से छह हजार करोड़ रुपये प्रयागराज शहर व आसपास के इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च हुए। प्रयागराज की विरासत से जुड़े 12 कॉरिडोर (अक्षयवट, सरस्वती कूप, महर्षि भारद्वाज, श्रृंगवेरपुर, नागवासुकि, द्वादश माधव, लेटे हनुमान) आदि तैयार किया गया।

सीसामऊ में तीन वर्ष पहले सीवर को कराया टेप

मुख्यमंत्री ने कहा कि यूनेस्को 2023 से देखना चाहता था कि इतने बड़े आयोजन से पर्यावरणीय असर क्या पड़ेगा। हमने पहले दिन से ही ध्यान रखा कि गंगा- यमुना नदी में कोई नाला या सीवर लीक न होने पाए। यूपी में गंगा नदी का सबसे क्रिटिकल पॉइंट कानपुर है। सीसामऊ के पास चार करोड़ लीटर सीवर प्रतिदिन गंगा नदी में गिरता था। हमने तीन वर्ष पहले ही उसे टेप करवाया। आज वहां से एक भी बूंद सीवर नहीं गिरता। जाजमऊ में ड्रेनरीज का एफ्ल्यूेंट गिरता था। उसके दुष्प्रभाव से गंगा नदी के जलीव जीव मर गए थे। दो वर्ष पहले उसे भी कंट्रोल किया। हर ड्रेनरीज पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए, उसकी मॉनीटरिंग होने लग गई। मुख्यमंत्री ने गंगा जल की शुद्धता को लेकर भी चर्चा की। बोले कि हमने सीपीसीबी को चैलेंज किया, अंततः उन्हें भी मानना पड़ा कि यहां का जल स्वच्छ है।

लोगों के जीवन में परिवर्तन के आधार बनते हैं ऐसे आयोजन

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह आयोजन आर्थिकी के बड़े आधार बनते हैं। यहां रोजगार सृजन कितने बड़े पैमाने पर होता है। कैसे यह लोगों के जीवन में परिवर्तन के आधार बनते हैं। मुख्यमंत्री ने एक निवेशक का प्रकरण सुनाते हुए उनकी कमाई और लाभ के बारे में भी जिक्र किया। बोले कि अलग-अलग तबके के लोगों ने वहां आजीविका का माध्यम भी बनाया। जो जिस भाव से गया, उसे वैसी दृष्टि व सृष्टि भी मिली। प्रयागराज महाकुम्भ सबक देता है कि हमें ऐसे आयोजन के साथ धैर्य के साथ जुड़ना होगा और प्रकृति के नियमों का पालन करना पड़ेगा।

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