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कंगाल पाकिस्‍तान के होंगे चार टुकड़े? अलग सिंधुदेश बनाने की मांग तेज

Demand to make separate Sindhudesh intensified Demand to make separate Sindhudesh intensified
Demand to make separate Sindhudesh intensified

इस्‍लामाबाद। लगातार कंगाल हो रहे पाकिस्‍तान के सिंध प्रांत में हिंदुओं के साथ हो रहे अत्‍याचार के बीच अलग सिंधुदेश बनाने की मांग तेज हो रही है। सिंधुदेश के समर्थक अब एक बार फिर से विशाल रैली का आयोजन करने जा रहे हैं। उनका कहना है कि केवल सिंधुदेश ही पाकिस्‍तान के सिंध प्रांत में रह रहे हिंदुओं को अधिकार दिला पाएगा। यही वजह है कि पाकिस्‍तान का बंटना जरूरी है।

सिंधुदेश का मुद्दा ऐसे समय पर गरमा रहा है जब पाकिस्‍तान डिफॉल्‍ट होने की कगार पर है और बलूचिस्‍तान तथा खैबर पख्‍तूनख्‍वा प्रांतों में टीटीपी और बलूच विद्रोही सेना पर खूनी हमले कर रहे हैं। यही वजह है कि एक अस्थिर पाकिस्‍तान के 4 देशों में बंटने का खतरा पैदा हो गया है। सिंधुदेश की मांग और पीएम मोदी से इसकी गुहार लगाई जा रही है।

पाकिस्‍तान का दोस्‍त तालिबान भी अब उसके लिए भस्‍मासुर बन गया है और टीटीपी के जरिए पाकिस्‍तान के कबायली इलाके पर कब्‍जा करना चाहता है। इस बीच पाकिस्‍तान में जन्‍मे और अमेरिका में रह रहे ‘सिंधुदेश’ के समर्थक शयान अली ने ऐलान किया है कि सिंध के शहरी इलाकों में इस बार जोरदार प्रदर्शन होने जा रहा है।

यही नहीं सिंध में अल्‍पसंख्‍यकों के साथ हो रहे अन्‍याय को देखते हुए छिटपुट प्रदर्शन लगातार हो रहे हैं। पिछले साल सिंधुदेश को बनाने के लिए एक विशाल रैली हुई थी। इसमें पीएम मोदी, जो बाइडन और अन्‍य नेताओं से मांग की गई थी कि वे सिंधी लोगों के लिए अलग ‘सिंधुदेश’ बनाने में मदद करें।

पाकिस्‍तान को अवैध तरीके से अंग्रेजों ने दिया सिंध

यह विशाल रैली आधुनिक सिंधी राष्‍ट्रवाद के संस्‍थापक जीएम सैयद की 117वीं जयंती की याद में निकाली गई थी। सैयद के गृह कस्‍बे सिंध के सान्‍न में लोगों ने स्‍वतंत्रता समर्थक रैली निकाली थी। सिंधी लोग खुद को सिंधु घाटी सभ्‍यता के वंशज मानते रहे हैं।

यह समाज पिछले करीब 5 हजार साल से विभिन्न रूपों और धर्मों के बीच आगे बढ़ता रहा। सिंधी राष्‍ट्रवादियों का कहना है कि उनके प्रांत पर अंग्रेजों ने जबरन कब्‍जा किया हुआ था और साल 1947 में इसे पाकिस्‍तान को लोगों की इच्‍छा के खिलाफ अवैध तरीके से दे दिया गया था।

कहा जाता है कि सिंध के मुसलमान भारत के अन्‍य इलाकों के मुसलमानों से काफी अलग थे। यहां के हिंदू भी बौद्ध धर्म से बहुत ज्‍यादा प्रभावित थे। सिंध के राष्‍ट्रवादी चाहते हैं कि महाभारत के सिंधुदेश की तरह से यह इलाका पाकिस्‍तान से अलग हो जाए।

इसकी मांग साल 1967 में सबसे पहले तेज हुई थी। जीएम सैयद और पीर अली मोहम्‍मद रश्‍दी ने इसे आगे बढ़ाया। साल 1971 में बांग्‍लादेश के पाकिस्‍तान से आजाद होने के बाद इस सिंधुदेश की मांग ने और जोर पकड़ लिया। सिंधी भाषा और पहचान की मांग को बंगाली भाषा आंदोलन से प्रेरणा मिली।

राजा दाहिर सेन सिंध के अंतिम हिंदू शासक

इस आंदोलन को अब वर्ल्‍ड सिंधी कांग्रेस, सिंधुदेश लिबरेशन आर्मी, जय सिंधु स्‍टूडेंट, सिंध नैशनल मूवमेंट पार्टी और सिंध के कई राष्‍ट्रवादी आगे बढ़ा रहे हैं। पाकिस्‍तानी अखबार डॉन के मुताबिक जीएम सैयद के काम ने सिंधी पहचान को एक ऐतिहासिक और धार्मिक रंग दिया जिससे वहां अलगाववादी आंदोलन शुरू हो गया।

सिंधुदेश के समर्थक और जय सिंध फ्रीडम मूवमेंट के संस्‍थापक जफर कहते हैं, ‘साल 1843 में जब ब्रिटिश सेना ने हमला किया तो सिंध एक अलग देश था और जब वे वापस लौटे तो उन्‍हें हमें आजाद देना चाहिए था। यह हमारा हक था। पाकिस्‍तान का निर्माण ब्रिटेन ने अपने हितों की पूर्ति करने के लिए किया।’

जफर ने कहा, ‘राजा दाहिर के समय साल 711 में ही सिंध एक अलग देश था। इसके बाद अरबों ने उस पर कब्‍जा कर लिया। उस समय सिंधुदेश था और हम उसी सिंधुदेश की मांग कर रहे हैं।’ इतिहासकारों का कहना है कि राजा दाहिर सेन सिंध के अंतिम हिंदू शासक थे। साल 711 में उनके राज्‍य पर अरब जनरल मुहम्‍मद बिन कासिम ने कब्‍जा कर लिया।

जफर कहते हैं कि जीएम सैयद ने 1971 में इस आंदोलन को शुरू किया जो बांग्‍लादेश के संस्‍थापक शेख मुजीब उर रहमान के दोस्‍त थे। उन्‍होंने यह महसूस किया कि अगर बांग्‍लादेश को आजादी मिल सकती है तो सिंधुदेश को क्‍यों नहीं?

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