काठमांडू \[नेपाल]: नेपाल में विरोध प्रदर्शनों का आज चौथा दिन है। आंदोलनकारियों, खासकर Gen-Z युवाओं ने देश की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश रह चुकीं सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री बनाए जाने की मांग तेज कर दी है। इसके बाद राजनीतिक हलचल और अंतरिम सरकार गठन की कोशिशें तेज हो गई हैं।
सेना ने कर्फ्यू बढ़ाया
राजधानी काठमांडू, ललितपुर और भक्तपुर जिलों में सुरक्षा हालात बिगड़ने के चलते नेपाल सेना ने कर्फ्यू और निषेधाज्ञा शुक्रवार 12 सितंबर सुबह 6 बजे तक बढ़ा दी है। सेना ने बयान जारी कर कहा कि आवश्यक सेवाओं से जुड़ी गाड़ियां और संस्थान सीमित समय के लिए संचालित होंगे। रोजमर्रा की जरूरतों को देखते हुए जरूरी सामान की दुकानें सुबह 6 से 9 बजे और शाम 5 से 7 बजे तक खुलेंगी। इस दौरान नागरिकों से छोटे समूहों में खरीदारी करने की अपील की गई है।
संकट के बीच महंगाई का डर
चार दिन से जारी हिंसा और परिवहन ठप पड़ने के कारण रोजमर्रा के सामान की सप्लाई प्रभावित हो चुकी है। सरकार अपदस्थ हो चुकी है, जिससे जरूरी वस्तुओं की उपलब्धता पर भी असर पड़ा है। आशंका जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में खाद्य और अन्य आवश्यक वस्तुओं के दाम आसमान छू सकते हैं।
सुशीला कार्की बनीं पहली पसंद
काठमांडू में प्रदर्शनकारियों का कहना है कि देश को संभालने के लिए अनुभव चाहिए और सुशीला कार्की इसके लिए उपयुक्त विकल्प हैं। गौरतलब है कि हालिया प्रदर्शनों, सोशल मीडिया बैन और सरकार के इस्तीफों के बाद नेपाल गहरे राजनीतिक और संवैधानिक संकट में है।काठमांडू के मेयर बालेन्द्र शाह (बालेन) ने भी कार्की के नाम का समर्थन किया है। हालांकि, कई प्रदर्शनकारी बालेन शाह को ही अंतरिम प्रधानमंत्री बनाए जाने की मांग कर रहे हैं।
सोशल मीडिया बैन से भड़का आंदोलन
8 सितंबर को सरकार ने टैक्स और साइबर सुरक्षा का हवाला देकर प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बैन लगाया। यह कदम जनता को नागवार गुज़रा और विरोध की आग पूरे देश में फैल गई। काठमांडू, पोखरा, बुटवल और बीरगंज समेत कई शहरों में प्रदर्शन हुए। अब तक 30 से अधिक लोगों की मौत और 500 से ज्यादा लोग घायल हो चुके हैं।
भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद के खिलाफ गुस्सा
प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांग है कि सरकार संस्थागत भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद पर रोक लगाए। हालात तब और बिगड़े जब सोशल मीडिया पर “नेपो बेबीज़” ट्रेंड ने नेताओं के बच्चों की आलीशान ज़िंदगी को उजागर किया। इससे आम जनता और राजनीतिक वर्ग के बीच की खाई और साफ नज़र आने लगी।