आज दुनिया भर में ईस्टर संडे मनाया जा रहा है। ईसाई मान्यताओं के मुताबिक प्रभु यीशु भगवान के बेटे थे और वो लोगों को एक-दूसरे से प्यार करने और आपस में समरसता रखने की शिक्षा देते थे। कुछ लोग जो उनकी इन बातों के विरुद्ध थे, उन्होंने गुड फ्राइडे पर यीशु को यातनाएं देते हुए सूली पर चढ़ा दिया गया था। इसके बाद संडे को प्रभु यीशु दुबारा जीवित हो गए थे। यीशु के दोबारा जीवित होने की खुशी में ईसाई समुदाय के लोग इस दिन को खुशियों के तौर पर मनाते हैं। इसे ईस्टर पर्व कहा जाता है।
क्यों खास है ईस्टर?
ईसाई मान्यताओं के अनुसार यीशु भगवान के पुत्र थे और इसलिए फांसी लगने के 3 दिन बाद वे पुन: एक बार जीवित हो गए। जिस दिन उन्हें फांसी दी गई, उसे गुड फ्राइडे और जिस दिन वे पुनर्जीवित हुए उसे ईस्टर कहा जाता है। ईस्टर पर दोबारा जीवित होने के बाद यीशु ने 40 दिनों तक अपने शिष्यों को सत्य के रास्ते पर चलने का संदेश दिया था।
ये हैं ईस्टर से जुड़ी परंपराएं
1. ईस्टर रविवार के पहले सभी गिरजाघरों में रात्रि जागरण तथा अन्य धार्मिक परंपराएं पूरी की जाती हैं। असंख्य मोमबत्तियां जलाकर प्रभु यीशु में अपना विश्वास प्रकट किया जाता है। यही कारण है कि ईस्टर पर सजी हुई मोमबत्तियां अपने घरों में जलाना तथा मित्रों में इन्हें बांटना एक प्रचलित परंपरा है।
2. ईस्टर संडे को खजूर इतवार के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन बड़ी संख्या में ईसाई धर्म के लोग चर्च में इकट्ठा होते हैं और प्रार्थना में भाग लेते हैं। प्रभु यीशु के दोबारा जीवित होने को सबसे पहले मरियम मगदलीनी नामक महिला ने देखा था फिर अन्य महिलाओं को इसके बारे में बताया था। इसलिए सबसे पहले यह पर्व सुबह सवेरे महिलाओं के द्वारा आरंभ होता है।
3. इस दिन सभी लोग गिरजाघरों में एकत्रित होकर पवित्र बाइबल पढ़ते हुए प्रभु यीशु के उपदेशों को याद किया जाता है। ईस्टर संडे के दिन अंडों से सजावट की जाती है क्योंकि अंडे को बहुत ही शुभ माना जाता है। अंडे नया उत्साह और नई उंमग से भरने का संदेश देता है।