भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की प्रेरणादायी धुन ‘वंदे मातरम्’ के 150 वर्ष पूरे होने के अवसर पर संसद में विशेष चर्चा आयोजित की जा रही है। सोमवार को लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस ऐतिहासिक बहस की शुरुआत करेंगे, जबकि मंगलवार को राज्यसभा में गृह मंत्री अमित शाह संवाद को आगे बढ़ाएंगे। यह चर्चा देश की सांस्कृतिक विरासत और राष्ट्रवादी भावना को नए सिरे से रेखांकित करने के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
संसद 10 घंटे की बहस के लिए तैयार
सोमवार को संसद भवन ‘वंदे मातरम्’ की गूंज से भरने वाला है। राष्ट्रीय गीत पर प्रस्तावित चर्चा के लिए 10 घंटे का समय निर्धारित किया गया है। माना जा रहा है कि बहस के दौरान इसके ऐतिहासिक महत्व के साथ कई अनसुने तथ्य भी प्रस्तुत किए जाएंगे। पीएम मोदी के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह चर्चा में दूसरे वक्ता होंगे। विपक्ष की ओर से कांग्रेस नेता गौरव गोगोई, प्रियंका गांधी सहित कई सांसद हिस्सा लेंगे।
हालांकि चर्चा के दौरान राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप की आशंका व्यक्त की जा रही है। हाल में प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस पर ‘वंदे मातरम्’ के छंदों को हटाने का आरोप लगाया था। लेकिन 2 दिसंबर को हुई सर्वदलीय बैठक में सभी दलों ने सहमति जताई कि बहस सकारात्मक होगी और दलगत राजनीति से ऊपर उठकर राष्ट्रभक्ति की भावना को मजबूत करने पर केंद्रित रहेगी।
गीत की ऐतिहासिक यात्रा: 1870 के दशक में हुई थी रचना
‘वंदे मातरम्’ की रचना 1870 के दशक में बंकिम चंद्र चटर्जी ने की थी। यह गीत उनके प्रसिद्ध उपन्यास ‘आनंदमठ’ का हिस्सा है, जो 1882 में प्रकाशित हुआ। 1950 में इसे राष्ट्रगीत का आधिकारिक दर्जा मिला। इसकी 150वीं वर्षगांठ पर केंद्र सरकार ने संसद में विशेष चर्चा का आयोजन कर इसे नई पीढ़ी तक पहुंचाने का प्रयास किया है।
PM मोदी ने ‘मन की बात’ में भी किया था उल्लेख
प्रधानमंत्री ने हाल ही में ‘मन की बात’ कार्यक्रम में ‘वंदे मातरम्’ को स्वतंत्रता आंदोलन की अमर धरोहर बताते हुए युवाओं से इसका नियमित गान करने की अपील की थी। केंद्र सरकार पहले ही इस अवसर पर स्मारक सिक्का और डाक टिकट जारी कर इस ऐतिहासिक धरोहर को स्मरण कर चुकी है। संसद में होने वाली यह चर्चा राष्ट्रीय गीत की विरासत और उसके सांस्कृतिक महत्व को पुनः स्थापित करने का एक महत्वपूर्ण प्रयास माना जा रहा है।