नई दिल्ली। दिल्ली के लाल किले के पास हुए धमाके की जांच अब उसके मास्टरमाइंड्स तक पहुंच चुकी है। जांच एजेंसियों के सूत्रों के अनुसार, इस आतंकी नेटवर्क का सबसे सक्रिय चेहरा जम्मू-कश्मीर के शोपियां निवासी मौलाना इरफान उर्फ मौलवी है। बताया जा रहा है कि इरफान देश के कई हिस्सों में विस्फोट करने की साजिश रच रहा था और उसने डॉ. मुजम्मिल शकील और डॉ. उमर नबी जैसे युवाओं का ब्रेनवॉश कर उन्हें आतंक के रास्ते पर धकेला।
शोपियां का मौलाना, जो बन गया मास्टरमाइंड
सूत्रों के मुताबिक, 28 वर्षीय मौलाना इरफान जम्मू-कश्मीर के नदीगाम, शोपियां का रहने वाला है। वह मुफ्ती (धार्मिक विद्वान) के तौर पर काम करता था। जांच में पता चला है कि उसका संपर्क आतंकी संगठन AGuH (अंसार गजवत-उल-हिंद) के आतंकी हाफिज मुजम्मिल तांत्रे से था, जिसे 2021 में सुरक्षाबलों ने मार गिराया था। इरफान लगातार तांत्रे के संपर्क में रहता था। 2021 में तांत्रे ने “गाजी”, “हाशिम” और एक अन्य नाम से व्हाट्सऐप पर अपनी पहचान AGuH कमांडर के रूप में बताई थी।
टेलीग्राम और सिग्नल पर बनता गया नेटवर्क
जांच से पता चला है कि एक महीने बाद डॉ. मुजम्मिल से एक और आतंकी ने संपर्क किया और खुद को AGuH का दूसरा कमांडर बताया।
2022 में डॉ. मुजम्मिल ने अपने परिचित आदिल के जरिए मौलाना इरफान और डॉ. उमर नबी की मुलाकात करवाई। ये तीनों मिलकर एक कश्मीरी संगठन बनाना चाहते थे। इरफान कुरान की क्लासेज के बहाने युवाओं को कट्टरपंथी बना रहा था, जबकि “हाशिम” उन्हें हथियार मुहैया करवाता था। सभी के बीच टेलीग्राम और सिग्नल ऐप के जरिए बातचीत होती थी।
डॉ. मुजम्मिल का आतंकी कनेक्शन
डॉ. मुजम्मिल शकील उस वक्त अल-फलाह यूनिवर्सिटी में चीफ मेडिकल ऑफिसर के पद पर तैनात था और सालाना करीब 9–10 लाख रुपये की आय थी। सूत्रों के अनुसार, मौलाना इरफान ने ही उसे 2021 में आतंकवाद की ओर प्रेरित किया। उस दौरान मारे गए आतंकी मुजम्मिल तांत्रे ने भी उसकी मदद की थी। इरफान और तांत्रे ने मिलकर मुजम्मिल को कट्टरपंथ की तरफ झुकाया। उसे चरमपंथी भाषण, पोस्टर और वीडियो दिखाए गए। इतना ही नहीं, जब तांत्रे बीमार था, तब डॉ. मुजम्मिल ने ही उसका इलाज किया था।
पैसे और विस्फोटक की खरीद
जांच में सामने आया है कि डॉ. उमर नबी को धमाके की तैयारियों के लिए सभी जरूरी दस्तावेज और सामग्री मुहैया करवाई गई थी, जबकि पैसे डॉ. मुजम्मिल ने दिए थे। मुजम्मिल, आदिल और शाहीन समेत बाकी लोगों ने मिलकर करीब 26 लाख रुपये कैश इकट्ठा किए और ये रकम उमर को दी गई। उमर ने इन पैसों से 26 क्विंटल NPK फर्टिलाइजर गुरुग्राम और नूंह (हरियाणा) से खरीदा, जिसकी कीमत करीब 3 लाख रुपये थी। इसी फर्टिलाइजर से IED (इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) बनाने की योजना थी।
पैसों को लेकर हुआ विवाद
कुछ समय बाद उमर और मुजम्मिल के बीच पैसों को लेकर तनाव बढ़ गया। मुजम्मिल ने उमर से 26 लाख रुपये का हिसाब या रकम वापस मांगी, जिसके बाद उमर ने सारा सामान उसे लौटा दिया। उमर ने तीन महीने पहले एक सिग्नल ग्रुप बनाया था, जिसमें उसने 2–4 लोगों को जोड़ा। जांच में यह भी सामने आया है कि शाहीन के पास से मिले हथियार भी उमर ने ही इस नेटवर्क को दिए थे। सुरक्षा एजेंसियों ने बताया कि अगर यह नेटवर्क सक्रिय रहता, तो देश के कई हिस्सों में धमाकों की बड़ी साजिश को अंजाम दिया जा सकता था। फिलहाल मौलाना इरफान और डॉ. मुजम्मिल शकील से पूछताछ जारी है, जबकि डॉ. उमर नबी की मौत लाल किला धमाके में ही हो चुकी है।