नई दिल्ली। देश की सर्वोच्च अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की शक्तियों, गिरफ्तारी के अधिकार, गवाहों को समन भिजवाने और संपत्ति जब्त करने के तरीके को सही ठहराया है। कांग्रेस नेता कार्ति चिदंबरम, एनसीपी नेता अनिल देशमुख एवं अन्य की तरफ से प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA 2002) के अधिकारों को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सुनाया।
जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिका की सुनवाई की। पीठ में जस्टिस सीटी रविकुमार और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी भी शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि PMLA कानून में बदलाव सही है। ईडी के सामने दिया गया बयान सबूत है।
कोर्ट ने पीएमएलए कानून के तहत अपराध से बनाई गई आय, उसकी तलाशी और जब्ती, आरोपी की गिरफ्तारी की शक्ति और संपत्तियों की कुर्की जैसे PMLA के कड़े प्रावधानों को सही ठहाराया। कोर्ट ने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत किसी आरोपी की गिरफ्तारी गलत नहीं है।
अदालत ने ईडी के गिरफ्तारी के अधिकार को बरकरार रखा है। कोर्ट ने साफ कहा कि ECIR जिसे एक तरह से एफआईआर की कॉपी माना जाता है, इस कॉपी को आरोपी को देना जरूरी नहीं है। गिरफ्तारी के समय कारण बता देना ही ईडी के लिए पर्याप्त होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सेक्शन 50 के तहत बयान लेने और आरोपी को बुलाने की शक्ति का अधिकार भी सही है। कोर्ट ने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग एक स्वतंत्र अपराध है। सेक्शन 5, सेक्शन 18, सेक्शन 19, सेक्शन 24 और सेक्शन 44 में जोड़ी गई उपधारा भी सही है।
सुप्रीम कोर्ट ने इन 5 धाराओं को सही ठहराया है। कोर्ट ने कहा कि हमने इस कानून की समीक्षा की है। शीर्ष अदालत ने कहा कि जांच अधिकारी को इस कानून में असीमित शक्तियां नहीं दी गई है।
पुलिस के दुरुपयोग का आरोप
याचिकाकर्ताओं की माने तो जांच एजेंसियां प्रभावी रूप से पुलिस शक्तियों का प्रयोग करती हैं, इसलिए उन्हें जांच करते समय सीआरपीसी का पालन करने के लिए बाध्य होना चाहिए। इस मामले में कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी जैसे कई वरिष्ठ वकीलों ने अपना पक्ष रखा।
सख्त जमानत की शर्त, गिरफ्तारी के मामले में गैर-रिपोर्ट, बिना ईसीआईआर के गिरफ्तारी, इस कानून के कई पहलुओं की आलोचना की जा रही है। चूंकि ईडी एक पुलिस एजेंसी नहीं है, इसलिए जांच के दौरान आरोपी द्वारा ईडी को दिए गए बयानों का इस्तेमाल आरोपी के खिलाफ न्यायिक कार्यवाही में किया जा सकता है, जो आरोपी के कानूनी अधिकारों के खिलाफ है।