लेह, लद्दाख: केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर बुधवार (24 सितंबर) को शुरू हुआ आंदोलन हिंसा और आगजनी में बदल गया। इस दौरान कम से कम चार लोगों की मौत हुई और 80 से अधिक लोग घायल हुए।सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक लद्दाख को लेकर कई महीनों से विरोध प्रदर्शन कर रहे थे।
बुधवार को उनके समर्थन में छात्र भी सड़कों पर उतर आए, लेकिन प्रदर्शन के दौरान पुलिस के साथ झड़प हुई। न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक लगभग 40 पुलिसकर्मी भी घायल हुए। स्थिति को नियंत्रण में करने के लिए शहरभर में पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने आंसू गैस के गोले दागे।
लद्दाख के उपराज्यपाल कविंदर गुप्ता ने हिंसा की कड़ी निंदा की और चेतावनी दी कि शांति भंग करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। उन्होंने कहा,”लोकतंत्र में सभी को अपनी बात रखने का अधिकार है, भूख हड़ताल भी लोकतांत्रिक परंपराओं का हिस्सा है। लेकिन पिछले एक-दो दिनों में हमने देखा कि लोगों को भड़काया जा रहा है, निजी कार्यालयों और घरों में आग लगाने की कोशिश की जा रही है, पथराव हो रहा है। यह लद्दाख की परंपरा नहीं है।”
प्रदर्शनकारियों की प्रमुख 4 मांगें:
1. लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा
2. छठी अनुसूची के तहत संवैधानिक सुरक्षा
3. कारगिल और लेह के लिए अलग लोकसभा सीटें
4. सरकारी नौकरियों में स्थानीय लोगों की भर्ती
छठी अनुसूची क्या है?
संविधान की छठी अनुसूची पूर्वोत्तर के चार राज्यों त्रिपुरा, मेघालय, मिजोरम और असम को विशेष स्वायत्तता प्रदान करती है। इसमें स्थानीय निकाय, वैकल्पिक न्यायिक तंत्र और वित्तीय शक्तियों के मामलों में विशेष प्रावधान शामिल हैं। लद्दाख के लोग भी इसी तरह की स्वायत्तता और सुरक्षा की मांग कर रहे हैं।लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद (LAHDC), कारगिल के चेयरमैन डॉ. जफर अखून ने कहा कि प्रदर्शनकारियों की मांगें सही हैं और केंद्र को इस मामले में लचीला रुख अपनाना चाहिए।