नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा। मोदी ने कहा कि मैं राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद करता हूं। मेरा सौभाग्य रहा कि मुझे पहले भी कई बार राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद करने का अवसर मिला है, लेकिन इस बार मैं धन्यवाद के साथ-साथ राष्ट्रपति जी का अभिनंदन भी करना चाहता हूं।
पीएम मोदी ने कहा कि अपने विजनरी भाषण में राष्ट्रपति ने हम सबको और करोड़ों देशवासियों को मार्गदर्शन दिया है। गणतंत्र के मुखिया के रूप में उनकी उपस्थिति ऐतिहासिक और देश की बहन-बेटियों के लिए प्रेरणादायक है। कई सांसदों ने चर्चा में हिस्सा लिया। अपने-अपने आंकड़े और तर्क दिए।
सांसदों ने अपनी रुचि के अनुसार अपनी बातें रखीं। जब इन बातों को गौर से सुनते हैं, समझने का प्रयास करते हैं। तो ध्यान में आता है कि किसकी कितनी क्षमता, योग्यता, समक्ष और इरादा है। देश भी इसका मूल्यांकन करता है।
पीएम का तंज
राहुल गांधी के कल मंगलवार को दिए गए भाषण पर अप्रत्यक्ष रूप से तंज कसते हुए पीएम मोदी ने कहा कुछ लोगों के भाषण के बाद पूरा ईकोसिस्टम, समर्थक उछल रहे थे। खुश होकर कहने लगे, ये हुई न बात! शायद नींद भी अच्छी आई होगी, शायद आज उठ भी नहीं पाए होंगे। ऐसे लोगों के लिए कहा गया है, अच्छे ढंग से कहा गया है…
ये कह-कह कर हम दिल को बहला रहे हैं,
वो अब चल चुके हैं, वो अब आ रहे हैं…
कुछ लोग दुखी हैं
उन्होंने कहा हमारे पड़ोस में जिस प्रकार से हालात बने हुए हैं। कौन इस पर गर्व नहीं करेगा कि ऐसे समय में भी देश दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। आज पूरे विश्व में भारत को लेकर पॉजिटिविटी है। देश के लिए गर्व की बात है, लेकिन मुझे लगता है शायद इससे भी कुछ लोगों को दुख हो रहा है।
हम जी रहे हैं गौरव के क्षण
पीएम ने कहा एक समय था छोटी-छोटी टेक्नोलॉजी के लिए देश तरसता था। आज देश बड़ी ताकत के साथ आगे बढ़ रहा है। दुनिया के लोग अपने वैक्सीनेशन का सर्टिफिकेट भी नहीं देख पाते हैं। आज हम इसे मोबाइल में ही देख सकते हैं।
सदन में हंसी-मजाक, टीका-टिप्पणी, नोंक-झोंक होती रहती है, लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि आज राष्ट्र के रूप में गौरवपूर्ण अवसर हमारे सामने खड़े हैं। गौरव के क्षण हम जी रहे हैं।
देश की प्रगति को स्वीकार नहीं कर पा रहे कुछ लोग
निराशा में डूबे कुछ लोग इस देश की प्रगति को स्वीकार नहीं कर पाते हैं। उन्हें भारत के लोगों की उपलब्धियां नहीं दिखती हैं। देशवासियों के प्रयास का परिणाम है, जिसके कारण दुनिया में डंका बज रहा है।
बीते 9 सालों में भारत में 90 हजार स्टार्टअप… दुनिया में हम स्टार्टअप के मामले में तीसरे नंबर पर हैं। इतने कम समय में 108 यूनिकॉर्न बने। 100 साल में आई यह भयंकर महामारी, दूसरी तरफ युद्ध की स्थिति, बटां हुआ विश्व और इस संकट के माहौल में भी देश को जिस तरह से संभाला गया है, इससे पूरा देश आत्मविश्वास से भर रहा है।
खेल कि दुनिया में भारत का परचम
खेल की दुनिया में खिलाड़ी अपना रुतबा दिखा रहे हैं। शिक्षा क्षेत्र में भारत आगे बढ़ रहा है। बेटियों की भागीदारी बराबर होती जा रही है। देश में इंजीनियरिंग, मेडिकल कॉलेजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। स्पोर्ट्स के अंदर भारत का परचम… हमारे बेटे-बेटियां लहरा रही हैं।
निराशा में डूबे कुछ लोग
कुछ लोग ऐसी निराशा में डूबे हैं। काका हाथरसी ने कहा था, “आगा पीछा देखकर क्यों होते गमगीन, जैसी जिसकी भावना वैसा दिखे… निराशा का कारण है… जनता का बार-बार हुकुम, लेकिन साथ-साथ इस निराशा के बीचे जो मन में पड़ी चीज है। वो चैन से सोने नहीं देती है।
2004 से 2014 भारत की अर्थव्यवस्था धराशायी हो गई। 10 साल में महंगाई डबल थी। इसलिए कुछ अच्छा होता है तो निराशा होती है। जिन्होंने बेरोजगारी दूर करने के वादे किए थे।
बाघ को दिखाया बंदूक का लाइसेंस
एक बार जंगल में दो नौजवान शिकार करने के लिए गए। वो गाड़ी में अपनी बंदूक रखकर बाहर टहलने लगे, लेकिन वहीं पर उन्हें बाघ दिखाई दिया। बाघ दिखा तो उन्होंने लाइसेंस दिखाया कि मेरे पास बंदूक का लाइसेंस है। इन्होंने भी बेरोजगारी दूर करने के नाम पर कानून दिखाया। ये इनकी तरीके हैं।
यूपीए की सरकार पर हमला
2004 से 2014 आजादी के इतिहास में घोटालों का समय रहा। कश्मीर से कन्याकुमारी, भारत के हर कोने में आतंकवादी हमलों का सिलसिला 10 साल चलता रहा। हर नागरिक असुरक्षित था। 10 साल में जम्मू-कश्मीर में हिंसा होती रहती थी। 10 सालों में भारत की आवाज ग्लोबल प्लेटफॉर्म पर कमजोर थी। दुनिया इसे सुनने के लिए तैयार नहीं थी। आज हर मौके को मुसीबत में पलटना यूपीए की पहचान बन गई है।
पूरी दुनिया में ब्लैकआउट चर्चा में आया
ऊर्जा का देश के विकास में अपना एक महत्व होता है। भारत की ऊर्जा शक्ति के उभार की दिशा में चर्चा की जरूरत थी। इस सदी के दूसरे दशक में भारत की चर्चा ब्लैकआउट के नाम पर हुई। पूरी दुनिया में ब्लैकआउट चर्चा में आ गया। कोयला घोटाला चर्चा में आ गया।
लोकतंत्र में आलोचना का महत्व
लोकतंत्र में आलोचना का बहुत महत्व है। सदियों से लोकतंत्र हमारी रगों में पनपा हुआ है। आलोचना लोकतंत्र की मजबूती के लिए, लोकतंत्र की आत्मा के लिए आलोचना एक शुद्धि यज्ञ है। बहुत दिनों से इंतजार कर रहा हूं कोई तो आलोचना करेगा, लेकिन आरोपों में 9 साल गंवा दिए।
चुनाव हारने पर ईवीएम को दोष, चुनाव आयोग को गाली… क्या तरीका है। अगर भ्रष्टाचार की जांच हो रही है तो जांच एजेंसियों को गाली दो। अगर सेना पराक्रम करे तो सेना की आलोचना करो। कभी देश के विकास की चर्चा हो तो आरबीआई को गाली दो।
कांग्रेस की बर्बादी पर होगी स्टडी
पीएम मोदी ने कहा कि यहां कुछ लोगों को हार्वर्ड का क्रेज है। कोरोना काल में ऐसा ही कहा गया था कि भारत की बर्बादी पर हार्वर्ड में स्टडी होगी। कल फिर सदन में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की स्टडी की बात हुई, लेकिन बीते सालों में हार्वर्ड एक बढ़िया स्टडी हुई। उसका टॉपिक था… द राइज एंड डिक्लाइन ऑफ इंडिया कांग्रेस पार्टी… मुझे विश्वास है कि भविष्य में कांग्रेस की बर्बादी पर हार्वर्ड ही नहीं बड़ी-बड़ी यूनिवर्सिटियों में भी स्टडी होनी है और कांग्रेस को डुबाने वाले लोगों पर भी स्टडी होगी।
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