नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के कानपुर में दिल्ली ब्लास्ट से जुड़े आतंकी मॉड्यूल के तार तेजी से खुलते जा रहे हैं। फरीदाबाद में गिरफ्तार किए गए आतंकी डॉ. शाहीन सईद और उसके सहयोगियों को लेकर एटीएस और एनआईए की संयुक्त जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। जांच एजेंसियों ने कानपुर के अशोक नगर स्थित फ्लैट से पकड़े गए डॉ. आरिफ के ठिकाने से पैक्ड बैग, कपड़े और आवश्यक सामान बरामद किया है, जिससे स्पष्ट संकेत मिलता है कि शाहीन की गिरफ्तारी की खबर लगते ही वह कानपुर छोड़कर फरार होने की तैयारी कर चुका था। अधिकारियों का मानना है कि डॉ. शाहीन की गिरफ्तारी से पूरे नेटवर्क में हड़कंप मच गया था और आरिफ को अंदेशा हो गया था कि अगली बारी उसकी ही है।
विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, डिजिटल फॉरेंसिक जांच में यह बात सामने आई है कि आरिफ के संबंध न केवल डॉ. शाहीन से थे, बल्कि फरीदाबाद के डॉ. मुजम्मिल से उसके बेहद मजबूत और लगातार संपर्क भी बने हुए थे। पिछले एक सप्ताह में आरिफ ने इन दोनों से 39 वॉयस कॉल्स और 43 व्हाट्सऐप कॉल्स किए थे, जबकि व्हाट्सऐप पर 200 से अधिक मैसेज का आदान-प्रदान भी हुआ था। जांच टीम ने आरिफ के मोबाइल और लैपटॉप से 25 डिलीटेड मैसेज भी रिकवर किए हैं, जिनसे इस आतंकी साजिश की जड़ें और गहरी होने के संकेत मिले हैं। उसके लैपटॉप में संदिग्ध दस्तावेज, मैप्स और कम्युनिकेशन लॉग जैसे बेहद महत्वपूर्ण डेटा मिलने की भी जानकारी है, जिसकी एजेंसियां विस्तृत जांच कर रही हैं। आरिफ के पास तीन मोबाइल फोन—दो आईफोन और एक की-पैड फोन—मिलने की पुष्टि हुई है, जिनमें से एक नया आईफोन उसने कथित रूप से 27 अक्टूबर को ही खरीदा था, जो जांचकर्ताओं के अनुसार उसके संभावित फरारी प्लान का हिस्सा हो सकता है, ताकि पुराने कॉन्टैक्ट्स और डिजिटल ट्रेस से बचा जा सके।
जांच की दिशा अब कानपुर के चमनगंज और बेकनगंज इलाकों में डॉ. शाहीन और उसके भाई डॉ. परवेज के नेटवर्क पर भी केंद्रित हो गई है। सूत्र बताते हैं कि डॉ. परवेज के दो साले क्षेत्र में कारोबार करते हैं और धार्मिक आयोजनों का बड़ा नेटवर्क चलाते हैं, जिनमें हजारों की संख्या में बाहरी लोग भी शामिल होते थे। सुरक्षा एजेंसियों को आशंका है कि इन आयोजनों का इस्तेमाल नेटवर्क को मजबूत करने और गुप्त बैठकों के लिए किया जा रहा था। अब इन बाहरी व्यक्तियों की पहचान और उनके बैकग्राउंड की जांच तेजी से की जा रही है ताकि पूरी साजिश की कड़ियां जुड़ सकें।
इसी बीच, इस मामले में डॉक्टरों जैसे उच्च शिक्षित पेशेवरों के शामिल होने से व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल की नई चुनौती सामने आई है। IMA ने डॉ. शाहीन की सदस्यता तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दी है, जबकि कानपुर के जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में स्थित शिलापट से उसका नाम भी हटा दिया गया है और उस पर सफेद पट्टी लगा दी गई है। बढ़ती संदिग्ध गतिविधियों को देखते हुए कानपुर कमिश्नरेट पुलिस ने इलाके में सुरक्षा व्यवस्था और सतर्कता और कड़ी कर दी है। एनआईए और एटीएस अब आरिफ से पूछताछ में फंडिंग के स्रोत, नेटवर्क के अन्य सदस्यों और साजिश की पूरी रूपरेखा उगलवाने की कोशिश कर रहे हैं। जांच एजेंसियों का मानना है कि आने वाले दिनों में इस मॉड्यूल से जुड़े कई और बड़े खुलासे सामने आ सकते हैं, जिससे पूरे आतंकवादी जाल की तस्वीर साफ होने की उम्मीद है।