नई दिल्ली | आज देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती है। उन्हें भारतीय राजनीति में संयम, सादगी और ईमानदारी के प्रतीक नेता के रूप में याद किया जाता है। महात्मा गांधी की तरह उनका जन्मदिन भी 2 अक्टूबर को ही आता है। पंडित जवाहरलाल नेहरू के निधन के बाद जब उन्होंने प्रधानमंत्री पद की जिम्मेदारी संभाली, तो उन्होंने अपने नेतृत्व और नैतिकता से भारत को नई पहचान दिलाई।
“जय जवान, जय किसान” का नारा
लाल बहादुर शास्त्री का दिया नारा “जय जवान, जय किसान” आज भी भारतीय जनमानस को प्रेरित करता है। यह नारा उन्होंने देश के किसानों और सैनिकों को समर्पित किया था।कम लोग जानते हैं कि शास्त्री जी का असली नाम लाल बहादुर श्रीवास्तव था। बाद में उन्होंने काशी विद्यापीठ से शिक्षा प्राप्त की, जहां उन्हें संस्कृत के अध्ययन के लिए “शास्त्री” की उपाधि दी गई। यही उपाधि उनके नाम का स्थायी हिस्सा बन गई।
लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में हुआ था। उनके पिता का निधन बचपन में ही हो गया, जिसके बाद उनका पालन-पोषण मां के सानिध्य में हुआ। साधारण जीवन जीते हुए उन्होंने तमाम कठिनाइयों का सामना किया और अंततः स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से शामिल हुए।सिर्फ 16 वर्ष की उम्र में वे असहयोग आंदोलन से जुड़ गए। आजादी की लड़ाई में कई बार जेल भी गए, लेकिन भारत माता के प्रति उनका समर्पण अटूट रहा।
शास्त्री जी 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान देश के प्रधानमंत्री थे। उनके नेतृत्व में भारत ने पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी। युद्ध के बाद उन्होंने 1966 में ताशकंद समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच शांति बहाल करना था। यह फैसला उनके जीवन के सबसे महत्वपूर्ण और यादगार निर्णयों में गिना जाता है।लाल बहादुर शास्त्री का जीवन सादगी, कर्तव्यनिष्ठा और देशभक्ति का प्रतीक है। उनकी विचारधारा और “जय जवान, जय किसान” का संदेश आज भी भारत के विकास और आत्मनिर्भरता की प्रेरणा देता है।