नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर राहुल नार्वेकर को आदेश दिया कि वह 31 दिसंबर या उससे पहले अयोग्यता प्रस्ताव पर लंबित याचिकाओं का निपटारा करें। साथ ही, कहा है कि इस मामले में अगली सुनवाई जनवरी के पहले हफ्ते में की जाएगी।
फरवरी 2024 तक मांगा गया था समय
दरअसल, इस याचिका में शिवसेना के शिंदे गुट और एनसीपी के अजित पवार गुट के विधायकों को अयोग्य करार देने की मांग की गई है। स्पीकर की तरफ से सुप्रीम कोर्ट ने कहा गया था कि वह 29 फरवरी, 2024 तक अयोग्यता से जुड़ी याचिकाओं का निपटारा कर देंगे। मालूम हो कि पिछली सुनवाई में शीर्ष अदालत ने मामले के निपटारे की धीमी गति पर असंतोष जताया था।
सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती से दिया आदेश
सुनवाई के दौरान स्पीकर की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल ने कहा, “बीच में विधानसभा सत्र, दिवाली और क्रिसमस की छुट्टी के चलते विलंब होगा। फिर भी वह 31 जनवरी तक निपटारे की कोशिश करेंगे। इस पर CJI ने कहा, “कार्यवाही 31 दिसंबर तक ही पूरी होनी चाहिए, इसे लंबे समय तक नहीं टाला जा सकता।”
10वीं अनुसूची का किया जिक्र
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अयोग्यता याचिकाओं में देरी के लिए प्रक्रियात्मक उलझनों की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। इसमें कहा गया है, “हम चिंतित हैं कि दसवीं अनुसूची की पवित्रता बनाए रखी जानी चाहिए।” मालूम हो कि दसवीं अनुसूची राजनीतिक दलबदल को रोकने के लिए बनाई गई है।
पीठ में न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे। पीठ ने कहा, “प्रक्रियात्मक उलझनों के कारण याचिकाओं में देरी नहीं होनी चाहिए। हम निर्देश देते हैं कि कार्यवाही 31 दिसंबर, 2023 तक समाप्त की जाएगी और निर्देश पारित किए जाएंगे।”
पहले स्पीकर को लगाई गई फटकार
शीर्ष अदालत ने पहले मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके वफादार कई विधायकों की अयोग्यता के लिए उद्धव ठाकरे गुट द्वारा दायर याचिकाओं पर निर्णय लेने में देरी पर स्पीकर को कड़ी फटकार लगाई थी और कहा था कि स्पीकर शीर्ष अदालत के आदेशों को नकार नहीं सकते हैं।
शिंदे गुट द्वारा भी ठाकरे के प्रति निष्ठा रखने वाले सांसदों के खिलाफ इसी तरह की अयोग्यता याचिकाएं दायर की गई हैं। शीर्ष अदालत ने 18 सितंबर को स्पीकर को याचिकाओं पर फैसले के लिए समयसीमा बताने का निर्देश दिया था।