नई दिल्ली। दिल्ली के लाल किले के पास हुए धमाके के बाद जांच में हर दिन नए खुलासे सामने आ रहे हैं। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) और देश की अन्य सुरक्षा एजेंसियां इस हमले के मास्टरमाइंड और उसके नेटवर्क का पता लगाने में जुटी हैं। ताजा जानकारी के अनुसार, करीब आठ संदिग्धों ने चार अलग-अलग शहरों में एक साथ सीरियल ब्लास्ट की साजिश रची थी।
चार शहर, एक ही समय पर धमाके की योजना
जांच से जुड़े सूत्रों का कहना है कि आतंकियों ने चार स्थानों पर एक साथ धमाका करने का ब्लूप्रिंट तैयार किया था। हर ग्रुप में दो-दो सदस्य शामिल थे, यानी कुल चार ग्रुप बनाए गए थे। प्रत्येक टीम को कई IED (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) सौंपे गए थे। योजना के अनुसार, सभी टीमें एक ही समय पर अपने-अपने शहरों में धमाके करने वाली थीं। सूत्रों के मुताबिक, जिन जगहों को निशाना बनाया जाना था, उनमें अयोध्या का राम मंदिर परिसर भी शामिल था।
अल फलाह यूनिवर्सिटी बनी थी साजिश का ठिकाना
जांच में यह भी सामने आया है कि हरियाणा की अल फलाह यूनिवर्सिटी की बिल्डिंग नंबर 17 आतंकियों की मुलाकात और योजना बनाने की जगह थी। कमरा नंबर 13, जो पुलवामा निवासी डॉ. मुजम्मिल के नाम पर था, आतंकी मीटिंग का केंद्र था। इसी कमरे में दिल्ली, यूपी और अन्य शहरों में धमाके करने की प्लानिंग होती थी। यूनिवर्सिटी की लैब से रसायन बाहर कैसे निकाले जाएं, इसका निर्णय भी यहीं लिया गया था।पुलिस ने इस कमरे को सील कर कई इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस, पेन ड्राइव और नोटबुक जब्त की हैं। शक है कि यूनिवर्सिटी की लैब से लाए गए अमोनियम नाइट्रेट, ऑक्साइड और फ्यूल ऑयल को मिलाकर विस्फोटक तैयार किए गए थे।
एन्क्रिप्टेड चैट और कोडवर्ड्स में होती थी बातचीत
सुरक्षा एजेंसियों को संदेह है कि आरोपी विदेशी हैंडलर्स से एन्क्रिप्टेड माध्यमों पर संपर्क में थे। बातचीत में वे विस्फोटकों के लिए कोड वर्ड्स जैसे “शिपमेंट” और “पैकेज” का इस्तेमाल करते थे। मोबाइल और डिजिटल डिवाइस से ये कोडवर्ड्स बरामद किए गए हैं।
डॉ. उमर और डॉ. मुजम्मिल की डायरी से मिले सुराग
जांच में एजेंसियों के हाथ दो महत्वपूर्ण डायरी और नोटबुक लगी हैं — एक डॉ. उमर के रूम नंबर 4 से और दूसरी डॉ. मुजम्मिल के रूम नंबर 13 से, जो दोनों अल फलाह यूनिवर्सिटी कैंपस के भीतर हैं। इसके अलावा एक तीसरी डायरी उस कमरे से भी मिली है, जहां से धौज क्षेत्र में विस्फोटक सामग्री बरामद की गई थी। डायरियों में कई कोड वर्ड्स, ऑपरेशन शब्द का बार-बार जिक्र, और 8 से 12 नवंबर के बीच की तारीखों का संदर्भ मिला है। एजेंसियों का मानना है कि इन्हीं दिनों के दौरान किसी बड़े हमले को अंजाम देने की योजना थी।