नई दिल्ली। समान नागरिक संहिता (UCC- Uniform Civil Code) इस समय पूरे देश के विमर्श के केंद्र में है। दरअसल, गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा ने वादा किया है कि अगर उसकी सत्ता बरकरार रही तो वह समान नागरिक संहिता लागू करेगी।
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इससे पहले उत्तराखंड में धामी सरकार ने इस दिशा में कदम बढ़ाते हुए यूसीसी पर विचार के लिए एक कमेटी गठित कर चुकी है। इसी क्रम में अब कुछ मुस्लिम धार्मिक व सामाजिक संगठन भी खुलकर UCC के पक्ष में उतरे हैं।
उनके मुताबिक, देश के विकास व सभी देशवासियों के लिए एक समान कानून वक्त की जरूरत है। उन्होंने इस मुद्दे पर सियासत करने वाले मुस्लिम संगठनों से भी समाज को बचने की सलाह देते हुए इन पर नकेल कसने की पैरोकारी की है। विश्व हिंदू परिषद (विहिप) भी इसके पक्ष में है।
भाजपा के एजेंडे में है यह मुद्दा
भाजपा के चुनावी एजेंडे में भी यह मुद्दा है। उसके चुनावी घोषणापत्र में अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण व जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 की वापसी के साथ ही समान नागरिक संहिता भी प्रमुख तीन वादों में से एक है। राम मंदिर व अनुच्छेद-370 के मुद्दे का तो भाजपा ने पटाक्षेप कर दिया है। अब केवल समान नागरिक संहिता बाकी है।
सुप्रीम कोर्ट में लंबित है मामला
यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय के साथ ही मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय के पूर्व कुलाधिपति व देश के पहले शिक्षामंत्री मौलाना आजाद के पौत्र फिरोज बख्त अहमद की जनहित याचिका में सबके लिए समान कानून की मांग की गई है। मामले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा भी पेश किया है, जिसमें यूसीसी का समर्थन किया गया है।
जमात उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना सुहैब कासमी ने कहा कि अमेरिका, कनाडा व जापान जैसे कई देशों में एक देश, एक कानून है। यहां का मुस्लिम समाज भी समान कानून चाहता है। होश तो कट्टरपंथियों को आना चाहिए, जिन्होंने तीन तलाक कानून का भी विरोध किया था।
वहीं आल इंडिया इमाम आर्गनाइजेशन के चीफ इमाम डा. उमेर अहमद इलियासी ने कहा कि राष्ट्रीय मुद्दों पर सोच-समझकर आगे बढ़ना चाहिए। भारत की तस्वीर बदल रही है। वह विश्वगुरु बनने जा रहा है। ऐसे में हर भारतीय की जिम्मेदारी है कि वह राष्ट्रहित में सोचे। समान नागरिक संहिता के मामले को भी गंभीरता से लेना चाहिए।
इंडियन मुस्लिम्स फार प्रोग्रेस एंड रिफार्म्स (इम्पार) के अध्यक्ष डा. एमजे खान ने कहा कि अगर किसी कानून से देश का विकास बाधित होता है तो उसमें जरूर बदलाव लाया जाना चाहिए, लेकिन इसमें विविधता का भी सम्मान होना चाहिए।
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