नई दिल्ली। राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम्’ की रचना को 150 वर्ष पूरे होने के अवसर पर संसद में आयोजित विशेष चर्चा की शुरुआत सोमवार को लोकसभा में हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय गीत के ऐतिहासिक महत्व और स्वतंत्रता संग्राम में उसकी भूमिका पर विस्तृत संबोधन दिया। राज्यसभा में इस विषय पर चर्चा 9 दिसंबर को होगी।
लोकसभा में संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 1857 के बाद अंग्रेज जान चुके थे कि भारत में लंबे समय तक शासन करना आसान नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि “अंग्रेजों ने ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति अपनाई और बंगाल को इसकी प्रयोगशाला बनाया।”
PM मोदी ने कहा कि 1905 में बंगाल विभाजन के समय वंदे मातरम् देश की एकता का सबसे मजबूत प्रतीक बनकर उभरा-अंग्रेजों ने जब बंगाल का विभाजन किया, तब वंदे मातरम् चट्टान की तरह खड़ा रहा। यह गली–गली का स्वर बन गया और भारत को तोड़ने की अंग्रेजी कोशिशों के खिलाफ शक्ति का स्रोत बन गया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि वंदे मातरम् सिर्फ एक गीत नहीं, बल्कि स्वतंत्रता आंदोलन की निरंतर सांस्कृतिक और भावनात्मक धारा का प्रतीक था।
उन्होंने कहा: “आजादी की जंग की पूरी यात्रा वंदे मातरम् की भावनाओं से होकर गुजरती थी। ऐसा भाव-काव्य दुनिया में कहीं और मिलना कठिन है।
50, 100 और 150 वर्ष के पड़ावों का उल्लेख
PM मोदी ने राष्ट्रीय गीत की 150 वर्षीय यात्रा के महत्वपूर्ण पड़ावों का जिक्र करते हुए कहा कि इसके 50 वर्ष पूरे होने पर देश गुलामी में था, 100 वर्ष पूरे होने पर देश आपातकाल जैसी परिस्थितियों में जकड़ा था। उन्होंने कहा कि उस समय “देशभक्ति के लिए जीने-मरने वाले लोगों को जेल में डाल दिया गया था,” और यह इतिहास का काला अध्याय था।
वंदे मातरम् का स्मरण करना सदन का सौभाग्य
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ‘वंदे मातरम्’ ने स्वतंत्रता संग्राम को ऊर्जा, साहस और त्याग की प्रेरणा दी, और इस राष्ट्रीय धरोहर को संसद में याद करना सभी के लिए गर्व का विषय है। जिस जयघोष ने देश को आज़ादी की प्रेरणा दी, उस वंदे मातरम् का इस सदन में स्मरण करना हमारा सौभाग्य है।