नई दिल्ली। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के महानिदेशक कुलदीप सिंह ने बताया है कि बिहार अब वामपंथी उग्रवाद से मुक्त हो गया है। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि सुरक्षा बलों ने झारखंड में 20 फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस या सुरक्षा कैंप स्थापित किए गए हैं।
साथ ही उन क्षेत्रों में प्रवेश कर लिया है, जो कभी माओवादियों की मौजूदगी के कारण दुर्गम स्थल हुआ करते थे।
कुलदीप सिंह ने बताया, “लड़ाई अपने अंतिम चरण में है और हिंसा से प्रभावित जिलों की संख्या जो 2010 में 60 थी, वह अब 39 हो गई है। सबसे अधिक प्रभावित जिलों की संख्या, जो 90% हिंसक घटनाओं के लिए जिम्मेदार है, वह भी कम हो गई है। 2015 में 35 जिले 90 फीसदी से अधिक हिंसक घटनाओं के लिए जिम्मेदार थे जो 2021 में 25 हो गए। ये जिले ज्यादातर छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, महाराष्ट्र, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में हैं।”
कुलदीप सिंह ने आगे बताया कि 2022 में बिहार, झारखंड और छत्तीसगढ़ में काफी सफलता हासिल हुई क्योंकि सीआरपीएफ ने तीनों राज्यों में ऑपरेशन ऑक्टोपस, ऑपरेशन डबल बुल, ऑपरेशन थंडरस्टॉर्म और ऑपरेशन चक्रबंधा शुरू किया। इन तीनों के ऑपरेशन के कारण 592 माओवादियों की गिरफ्तारी हुई या उन्होंने आत्मसमर्पण किया।
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए सीआरपीएफ के महानिदेशक ने कहा, “आवारा तत्वों या जबरन वसूली करने वालों को छोड़कर हम कह सकते हैं कि बिहार पूरी तरह से नक्सलियों से मुक्त हो गया है। झारखंड में भी हम पहली बार 5 सितंबर को बुद्ध पहाड़ क्षेत्र के शीर्ष पर पहुंचे हैं।
यह अभी तक माओवादियों के नियंत्रण वाला क्षेत्र था लेकिन अब हमने वहां सुरक्षा कैंप लगा दिया है और सड़कों का निर्माण भी शुरू हो गया है। बिहार के चक्रबंधा में 8×7 किलोमीटर क्षेत्र और बुद्ध पहाड़ क्षेत्र में 4×3 किलोमीटर के क्षेत्र को माओवादियों से मुक्त कर दिया गया है। सितंबर में पहली बार कोई हेलीकॉप्टर बुद्ध पहाड़ पर उतरा।”