पटना। बिहार विधानसभा का सत्र बुधवार को उस समय गरमा गया जब मतदाता सूची पुनरीक्षण (वोटर लिस्ट रिवीजन) के मुद्दे पर चर्चा के दौरान नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने सरकार पर सवालों की बौछार कर दी। उनके आरोपों का जवाब देने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार स्वयं खड़े हो गए और तेजस्वी को उनके राजनीतिक अनुभव और पारिवारिक पृष्ठभूमि की याद दिला दी।
मुख्यमंत्री ने कहा, “तुम्हारे पिता सात साल तक मुख्यमंत्री रहे, फिर तुम्हारी मां भी सत्ता में रहीं और तुम खुद डिप्टी सीएम रह चुके हो। उस दौरान क्या हालात थे, ये भी देखना चाहिए। हम तो नौ महीने से भी कम समय रहे और फिर पद छोड़ दिया। कई बार हम तुम्हारे साथ भी रहे, लेकिन जब देखा कि कामकाज सही से नहीं हो रहा तो अलग हो गए।”
केंद्र से मिल रही मदद का किया ज़िक्र
नीतीश कुमार ने विधानसभा में यह भी कहा कि केंद्र सरकार बिहार को लगातार मदद दे रही है। “जब इन लोगों को कोई ज़रूरत होती है तो हमारे पास आते हैं। हम उनके हित में फैसले लेते हैं, लेकिन फिर भी बेवजह बयानबाज़ी करते हैं। अब चुनाव नज़दीक हैं तो सबको तय करना है कि किसने क्या काम किया।
महिलाओं और अल्पसंख्यकों के लिए किए गए कामों का हवाला
नीतीश कुमार ने राज्य सरकार की उपलब्धियों को गिनाते हुए कहा कि महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए उनकी सरकार ने 50 प्रतिशत आरक्षण दिया। साथ ही अल्पसंख्यक समुदाय के लिए भी कई योजनाएं चलाई गईं। उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा, “आपने मुस्लिमों या महिलाओं के लिए क्या किया है? हमने तो हर ज़रूरतमंद वर्ग के लिए योजनाएं लागू की हैं।”
‘चुनाव लड़िए, लेकिन तथ्यों के साथ’
मुख्यमंत्री ने विपक्ष को चुनावी बयानबाज़ी से बचने की सलाह देते हुए कहा कि चुनाव आ रहे हैं, और सभी को लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत अपनी बात रखनी चाहिए, लेकिन बिना तथ्यों को तोड़े-मरोड़े।