गांधीनगर। गुजरात के गांधीनगर में नेशनल फोरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी (एनएफएसयू) के 5वें अंतरराष्ट्रीय एवं 44वें अखिल भारतीय अपराध विज्ञान सम्मेलन को संबोधित करते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि क्राइम के फॉर्म, मोड और मेथड बदल रहे हैं तब केंद्र सरकार न्याय को अवेलेबल, अफॉर्डेबल और एक्सेसिबल बनाने के लिए कार्यरत है। पुलिस को अपराध और अपराधियों से दो जेनरेशन आगे रहने की जरूरत है तब टेक्नोलॉजी और फॉरेंसिक साइंस के इंटीग्रेशन से यह संभव हो पाएगा।
इस सम्मलेन में बोलते हुए न्यायमूर्ति तथा एनएचआरसी अध्यक्ष अरुण कुमार मिश्रा ने कहा कि मानवाधिकारों के संरक्षण के लिए फोरेंसिक साइंस तथा बिहेवियरल फोरेंसिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अपराध रोकने के लिए डीएनए का अध्ययन जरूरी है। इसमें आज की यह बिहेवियरल कॉन्फ्रेंस बहुत ही मददगार सिद्ध होगी। इसके अतिरिक्त; विभिन्न रूप से अपराध करने वाले अपराधियों को अपराध छुड़ा कर समाज में पुनर्स्थापित करने के लिए अनुसंधान करना जरूरी है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि वैश्विक कल्याण के लिए कार्यरत भारत में हाल ही में पारित हुए तीन कानून सभी को न्याय-अधिकार दिलाएंगे।
इंडियन क्रिमिनोलॉजिस्ट सोसाइटी की पूर्व अध्यक्ष डॉ. पूर्वी पोखरियाल ने स्वागत संबोधन में इस तीन दिवसीय कॉन्फ्रेंस का विवरण देते हुए कहा कि नेशनल फोरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी (एनएफएसयू) तथा इंडियन सोसाइटी ऑफ क्रिमिनोलॉजी, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी), राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू), राष्ट्रीय बाल अधिकार रक्षा आयोग (एनसीपीसीआर) तथा गुजरात राज्य मानवाधिकार आयोग (जीएसएचआरसी) के सहयोग से बिहेवियरल फोरेंसिक-रीइंटीग्रेटिंग एक्सांडिंग कोंटर्स ऑफ क्रिमिनोलॉजी एंड क्रिमिनालिटिक्स विषय पर आधारित पांचवीं अंतरराष्ट्रीय तथा 44वीं अंतरराष्ट्रीय परिषद का आयोजन किया गया है। इसमें 600 से अधिक प्रतिनिधि सहभागी होकर विचारों का आदान-प्रदान करेंगे।
केन्द्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह के करकमलों से जर्नल ऑफ क्रिमिनल ऑफ क्रिमिनोलॉजी एंड क्रिमिनालिस्टिक्स का अनावरण भी किया गया। साथ ही साथ, एनएफएसयू के कुलपति डॉ. जे. एम. व्यास की 50 वर्षीय कार्य यात्रा के दौरान हुए कार्यों पर विभिन्न विशेषज्ञों द्वारा लिखित लेखों के दो वॉल्यूम का अनावरण हुआ। डॉ. व्यास को उनकी सफल सेवा के लिए प्रमाणपत्र प्रदान किया गया।
इस अवसर पर केन्द्रीय गृह सचिव श्री अजय भल्ला, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष श्री प्रियंक कानूनगो, देशभर के कई माननीय न्यायाधीश, कानूनी अधिकारी, पुलिस अधिकारी, क्रिमिनोलॉजिस्ट्स, विद्वान, राज्य तथा केन्द्रीय पुलिस संस्थानों, फोरेंसिक साइंस लैबोरेटरीज (एफएसएल), जेल विभाग, एनसीआरबी, बीएसएफ जैसी विभिन्न सरकारी एजेंसियों के अधिकारी भी उपस्थित रहे।