संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने अपना रुख सख्त करते हुए रविवार को प्रधानमंत्री को लिखे एक खुले पत्र में छह शर्तें रखीं। किसानों के साथ उन छह मुद्दों पर चर्चा करने में विफल रहने पर आंदोलन जारी रखने की धमकी दी। एसकेएम ने सोमवार को लखनऊ के इको गार्डन में महापंचायत का आह्वान किया है, जहां राकेश टिकैत समेत कई किसान नेता मौजूद रहेंगे।
लखनऊ में महापंचायत आज
40 किसान संगठनों की महापंचायत में आगे की रणनीति तय की जाएगी। पंचायत को लेकर लखनऊ पुलिस अलर्ट पर है। सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। वहीं आसपास के जिलों से आने वाले किसान नेता को नजरबंद कर दिया गया है। उन्हें रोक दिया गया है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की कि सरकार तीनों को निरस्त करने का इरादा रखती है। खुले पत्र ने पीएम मोदी को याद दिलाया कि तीन कृषि कानूनों को निरस्त करना आंदोलनकारी किसानों की एकमात्र मांग नहीं थी और तीन अन्य मांगें थीं।
किसानों की थी 3 अन्य मांगें
किसानों की पहली और सबसे महत्वपूर्ण मांग न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को सभी फसलों और सभी के लिए कानूनी अधिकार के रूप में सी2+50 प्रतिशत (उत्पादन लागत से 50 प्रतिशत अधिक) के फार्मूले पर आधारित बनाना है। पत्र ने प्रधान मंत्री को याद दिलाया कि यह उनकी अध्यक्षता में एक समिति थी जिसने 2011 में तत्कालीन प्रधान मंत्री को इसकी सिफारिश की थी और उनकी सरकार ने बाद में संसद में भी इसकी घोषणा की थी।
दूसरी मांग पावर रेगुलेशन (संशोधन) विधेयक 2020/2021 के मसौदे को वापस लेने की है, जिसपर एसकेएम ने कहा, सरकार ने वापस लेने का वादा किया था लेकिन इसे संसद की कार्यवाही में शामिल किया। तीसरी मांग दिल्ली और उसके आसपास के क्षेत्रों (सीएक्यूएम) अधिनियम के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन अधिनियम के तहत किसानों (पराली जलाने वाले) को दंडित करने के प्रावधानों को हटाना, जिसने किसानों को “अपराधी” करार देने वाले प्रावधान को हटा दिया, लेकिन धारा 15 को बरकरार रखा जो अभी भी किसानों को सजा दे रही है।
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