बिहार विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी को पटना की कुम्हरार सीट से बड़ा झटका लगा है। यहां के मौजूदा विधायक अरुण कुमार सिन्हा ने आगामी चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान किया है। पार्टी की ओर से अभी उम्मीदवारों की आधिकारिक सूची जारी नहीं हुई है, लेकिन माना जा रहा था कि इस बार उनका टिकट कट सकता है। इसी संभावना को देखते हुए उन्होंने खुद को दौड़ से बाहर करने का फैसला लिया।
अरुण कुमार सिन्हा ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट जारी कर लिखा,आगामी विधानसभा चुनाव में मैं प्रत्याशी के रूप में चुनाव नहीं लड़ूंगा, लेकिन संगठन के लिए कार्य करता रहूंगा। पिछले 25 वर्षों में आप सभी ने जो विश्वास एवं सहयोग दिया, उसका सदा आभारी रहूंगा। कार्यकर्ता सर्वोपरि, संगठन सर्वोपरि।
एनडीए में सीट बंटवारा तय
इस बीच एनडीए गठबंधन ने बिहार विधानसभा चुनाव के लिए सीट बंटवारे की प्रक्रिया पूरी कर ली है।सूत्रों के मुताबिक, भाजपा और जदयू को 101-101 सीटें दी गई हैं, जबकि बाकी सीटें सहयोगी दलों के हिस्से में गई हैं।लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को 29 सीटें मिली हैं।हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम), जो पहले 15 सीटों की मांग कर रही थी, को 6 सीटें दी गई हैं।राष्ट्रीय लोक मोर्चा (उपेंद्र कुशवाहा) को भी 6 सीटें मिली हैं।यह पहली बार है जब 2005 में सत्ता परिवर्तन के बाद भाजपा और जदयू बराबर सीटों पर चुनाव लड़ेंगी। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बार सीट बंटवारे में भाजपा का प्रभाव बढ़ा है, जबकि जदयू का दबदबा कुछ कम हुआ है।
नेताओं ने बताया “सहमति से लिया गया निर्णय
भाजपा के बिहार चुनाव प्रभारी और केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि “एनडीए के सभी घटक दलों ने आपसी सहमति और सौहार्दपूर्ण माहौल में सीट बंटवारे की प्रक्रिया पूरी की है। बिहार एक बार फिर एनडीए सरकार के लिए तैयार है।वहीं, चिराग पासवान, उपेंद्र कुशवाहा और संजय झा ने भी इस बंटवारे को “सहमति से लिया गया निर्णय” बताया।पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने शुरुआत में कुछ असंतोष जताया था, लेकिन बाद में उन्होंने स्पष्ट किया,“हमें छह सीटें मिली हैं। यह शीर्ष नेतृत्व का फैसला है और हम इसे स्वीकार करते हैं। हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अंतिम सांस तक रहेंगे।इस घोषणा के साथ ही बिहार में एनडीए के भीतर चुनावी समीकरण अब लगभग स्पष्ट हो गए हैं, जबकि उम्मीदवारों की आधिकारिक सूची का सभी को इंतजार है।