पटना। बिहार विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद जनसुराज के प्रमुख प्रशांत किशोर ने शुक्रवार को बेतिया के गांधीधाम भितिहरवा में अपनी एक दिन की भूख हड़ताल समाप्त की। इसके साथ ही उन्होंने चुनाव परिणामों पर आत्ममंथन के लिए एक दिन का मौन व्रत भी रखा। मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने चुनावी प्रक्रिया में धांधली के आरोप लगाए और राज्य सरकार पर कई गंभीर सवाल खड़े किए।
प्रशांत किशोर ने कहा, “बिहार में लोकतंत्र के साथ बड़ा अन्याय हुआ है। जब हमने जनसुराज यात्रा शुरू की थी, तो यह कुछ लोगों का प्रयास था, जो दो वर्षों में लाखों लोगों का परिवार बन गया। बिहार के लोगों में यह उम्मीद पैदा हुई कि राज्य बदल सकता है। सभी नागरिकों को स्वतंत्र रूप से वोट देने का अधिकार है, लेकिन इस बार गरीबों के वोट खरीदे जाने की घटनाएँ सामने आईं।”
उन्होंने दावा किया कि “देश के इतिहास में पहली बार इतनी बड़ी संख्या में वोट खरीदे गए। इसके लिए एक करोड़ से अधिक महिलाओं के खातों में 10-10 हजार रुपये जमा कराए गए।” किशोर ने कहा कि यदि उनके आरोप गलत हों तो सरकार उन्हें जेल भेज सकती है। उनका कहना था कि राज्य सरकार के पास पर्याप्त धन नहीं था, इसलिए आकस्मिकता निधि और विश्व बैंक के अनुदान तक का इस्तेमाल किया गया। उन्होंने यह भी कहा, “मैं नीतीश कुमार को व्यक्तिगत रूप से ईमानदार मानता हूँ, लेकिन यह कौन-सी ईमानदारी है?”
आगे उन्होंने बताया कि बिहार की राजनीति लंबे समय से जातीय विभाजन, पैसे के प्रभाव और धार्मिक ध्रुवीकरण से प्रभावित रही है, जिसका असर चुनावों में साफ दिखता है। उनके अनुसार, भारतीय संविधान ने नागरिकों को मतदान का बड़ा अधिकार दिया है—एक ऐसा अधिकार जिसके लिए अमेरिका जैसे देशों में दशकों तक संघर्ष करना पड़ा। प्रशांत किशोर का कहना है कि बिहार में सचमुच परिवर्तन तभी संभव है जब समाज खुद जागरूक हो, अपने अधिकारों और कर्तव्यों को समझे और लोकतंत्र की रक्षा में सक्रिय भूमिका निभाए।