कोलकाता। पश्चिम बंगाल में बाबरी मस्जिद निर्माण को लेकर जारी विवाद के बीच निलंबित टीएमसी विधायक हुमायूं कबीर ने अब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को खुली चुनौती दे दी है। मुर्शिदाबाद में अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए कबीर ने कहा कि 2026 में ममता बनर्जी मुख्यमंत्री नहीं बनेंगी और उन्हें “पूर्व मुख्यमंत्री” बना दिया जाएगा। कबीर ने कहा,“मुर्शिदाबाद में वादा कौन करेगा? हुमायूं कबीर को कौन रोक सकता है? मैं उन्हें चुनौती दे रहा हूं—2026 में वह मुख्यमंत्री पद की शपथ नहीं लेंगी।” टीएमसी ने बाबरी मस्जिद को लेकर उनके विवादित बयान के बाद गुरुवार को उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया था।
हाईकोर्ट ने बाबरी मस्जिद निर्माण विवाद में दखल देने से किया इनकार
बाबरी मस्जिद निर्माण के खिलाफ हुमायूं कबीर द्वारा दायर जनहित याचिका (PIL) पर शुक्रवार को कलकत्ता हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। हालांकि, मुख्य न्यायाधीश की डिवीजन बेंच ने इस मुद्दे में सीधी दखलअंदाजी से इनकार कर दिया।
कोर्ट ने कहा कि कानून-व्यवस्था बनाए रखना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। राज्य सरकार ने अदालत को बताया कि स्थिति नियंत्रण में है और मुर्शिदाबाद में केंद्रीय बल की 19 कंपनियां पहले से ही तैनात हैं।
बाबरी मस्जिद निर्माण का कबीर का ऐलान बना राजनीतिक तूफान
कुछ दिन पहले हुमायूं कबीर ने घोषणा की थी कि वह मुर्शिदाबाद में बाबरी मस्जिद का निर्माण करवाएंगे, चाहे इसके लिए उन्हें टीएमसी से इस्तीफा ही क्यों न देना पड़े। उनके इस बयान को भाजपा ने तुरंत मुद्दा बनाते हुए टीएमसी और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधा।
विवाद बढ़ता देख टीएमसी ने कबीर का बयान “व्यक्तिगत” बताते हुए उनसे दूरी बना ली और पार्टी से निलंबित कर दिया।
कौन हैं हुमायूं कबीर?
हुमायूं कबीर बंगाल की राजनीति में कई बार दलबदल के लिए सुर्खियों में रहे हैं। वह कांग्रेस, टीएमसी और भाजपा — तीनों पार्टियों में रह चुके हैं और बाद में दोबारा टीएमसी में लौटे।
उन्होंने हाल ही में जिला अधिकारियों पर “आरएसएस एजेंट” की तरह काम करने का आरोप लगाया था।
कबीर ने मस्जिद निर्माण के लिए 6 दिसंबर तारीख का चयन किया था — वही दिन जब 1992 में बाबरी मस्जिद ढहाई गई थी। इस तारीख को टीएमसी “संघर्ष दिवस” के रूप में मनाती है, और इस साल राज्य सरकार ने 6 दिसंबर को अवकाश भी घोषित किया है।