छत्तीसगढ़ में गुरुवार, 16 अक्टूबर को 170 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर दिया, जिससे राज्य के अबूझमाड़ और उत्तर बस्तर क्षेत्र को नक्सलमुक्त घोषित कर दिया गया। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बताया कि इससे एक दिन पहले महाराष्ट्र में 61 और छत्तीसगढ़ में 27 नक्सलियों ने हथियार डाल दिए थे। इस तरह दो दिनों में कुल 258 वामपंथी उग्रवादियों ने हिंसा का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा में लौटने का फैसला किया।
अमित शाह ने एक्स पर लिखा कि यह नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई में एक ऐतिहासिक दिन है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार के सतत प्रयासों से नक्सलवाद अब अपनी अंतिम अवस्था में है। शाह ने लिखा, “हमारी नीति स्पष्ट है। जो आत्मसमर्पण करेंगे, उनका स्वागत है, और जो बंदूक उठाएंगे, उन्हें हमारी सेना के प्रकोप का सामना करना पड़ेगा।
गृहमंत्री ने आगे कहा कि जनवरी 2024 में भाजपा सरकार बनने के बाद से छत्तीसगढ़ में 2,100 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है, 1,785 को गिरफ्तार किया गया है और 477 का एनकाउंटर में सफाया हुआ है। उन्होंने दावा किया कि सरकार 31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद को पूरी तरह खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है।अमित शाह ने बताया कि अबूझमाड़ और उत्तर बस्तर जैसे क्षेत्र, जो कभी नक्सलियों के गढ़ माने जाते थे, अब पूरी तरह मुक्त हैं। उन्होंने कहा कि अब नक्सलवाद केवल दक्षिण बस्तर के कुछ इलाकों में सिमट गया है, जिसे सुरक्षा बल जल्द ही समाप्त कर देंगे।
गृह मंत्रालय के अनुसार, नक्सलवाद से सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों की संख्या घटकर तीन बीजापुर, सुकमा और नारायणपुर रह गई है। पहले यह संख्या छह थी। वहीं, वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित जिलों की कुल संख्या 18 से घटकर 11 हो गई है। इनमें छत्तीसगढ़ के अलावा झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और ओडिशा के कुछ जिले शामिल हैं।मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, हाल के अभियानों में 312 उग्रवादी मारे गए, जिनमें भाकपा (माओवादी) के महासचिव और आठ अन्य वरिष्ठ नेता भी शामिल थे। इसके अलावा 836 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया और अब तक 1,809 ने आत्मसमर्पण कर दिया है।