भारत विकास परिषद् ने मनाया अपना 59वां स्थापना दिवस
लखनऊ। भारतीय जीवन मूल्यों एवं दर्शन पर आधारित भारत विकास परिषद् के सेवा एवं संस्कार के कार्य विषय पर आधारित लखनऊ की समस्त शाखाओं के द्वारा संपर्क आयाम के अंतर्गत सामूहिक रूप से भारत विकास परिषद् अवध प्रान्त उत्तर मध्य रीजन -2 ने आज अपना 59वां स्थापना दिवस इंजीनियर्स भवन रिवर बैंक कॉलोनी लखनऊ में धूमधाम से मनाया।
इस अवसर पर एक वैचारिक संगोष्ठी का भी आयोजन किया गया कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता के र्रोप में राज्य सभा सांसद डॉ. सुधांशु त्रिवेदी मौजूद रहे।
कार्यक्रम की शुरुवात दीप प्रज्वलन और भारत माता व स्वामी विवेकानंद के चित्रों पर पुष्पांजलि के साथ हुई, परिषद् की महिला शाखा द्वारा राष्ट्रगीत वन्दे मातरम गाया गया। परिषद् के प्रांतीय महासचिव देवेन्द्र स्वरुप शुक्ल द्वारा सम्मानित मंच का परिचय कराया गया।

तत्पश्चात कार्यक्रम के अध्यक्ष व मुख्य अतिथि का स्वागत पुष्पकली,शॉल व स्मृति चिन्ह द्वारा किया गया। प्रांतीय अध्यक्ष कृष्ण जीवन रस्तोगी ने स्वागत उद्बोधन किया। क्षेत्रीय अध्यक्ष मुकेश जैन द्वारा भारत विकास परिषद् सेवा एवं संस्कार के कार्यों की प्रस्तावना पर प्रकाश डाला गया।
सगठन मंत्री विक्रांत खण्डेलवाल ने अपने उद्बोधन मे भारत विकास परिषद् की संकल्पना एवं विचारधारा पर अपने विचार प्रस्तुत किये। मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता सुधांशु त्रिवेदी द्वारा ‘भारतीय जीवन मूल्यों एवं दर्शन पर आधारित भारत विकास परिषद् के सेवा एवं संस्कार के कार्य’ विषय पर अपने विचार रखे गए।
मुख्य अतिथि ने अपने उद्बोधन में कहा कि भारतीय जीवन मूल्यों की आधारशिला है, सहअस्तित्व की भावना, सेवा भावना, हमारी संस्कृति की मूल प्रेरणा है। वह एक अलग प्रकार का संदेश पूरी दुनिया को देती है।
स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि भारत माता दिव्य आभा के साथ मार्गदर्शन देने के लिए आगे बढ़ने जा रही है वह जानते हैं क्यों आगे बढ़ने जा रही है। हम दुनिया के सुपर पावर बनने के लिए नहीं आगे बढ़ रहे हैं, हम इकोनॉमिक पावर बनने के लिए आगे बढ़ने नहीं जा रहे मिलिट्री पावर बनने के लिए भी आगे बढ़ने नहीं जा रहे।
हम जगतगुरु बनने के लिए आगे बढ़ने जा रहे। जगतगुरु कभी किसी को डॉमिनेंट नहीं करता। वो केवल मोटिवेट करता है, यही हमारी वैल्यूज का मोटिवेशन है।
इसीलिए जब हम दुनिया में आगे आएँगे तो वो एक अलग प्रकार से दुनिया को लीड करते हुए जिसमें हमारी वैज्ञानिक एप्रोच अलग होगी कल्चरल एप्रोच अलग होगी। स्पिरिचुअल एप्रोच अलग होगी और हमारी सोशल एप्रोच भी अलग होगी। अतः भारत का विकास किस चीज़ के लिए होगा? मनुष्य के विकास के लिए होगा।
हम दुनिया के सबसे युवा राष्ट्र है, अतः हमारा स्वर्णिम अतीत है और गौरवशाली भविष्य है। हमें वर्तमान का ध्यान रखना है क्योंकि उन्नीसवीं सदी अंग्रेजों की थी, बींसवीं सदी कांग्रेस की थी और 21 वीं सदी हमारी हैं इसमें कोई संदेह नहीं है।
अर्पित रस्तोगी द्वारा अध्यक्षीय उद्बोधन प्रस्तुत किया गया उसके बाद प्रांतीय वित्त सचिव श्रीप्रकाश द्वारा धन्यवाद् ज्ञापित किया गया तथा कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान द्वारा हुआ।
कार्यक्रम में लखनऊ की सभी शाखाओं जैसे महिला, पूर्वी, इंदिरानगर, मानसरोवर, लोकमान्य, समर्थ. समर्पण, परमहंस, विवेकानंद, निराला, संस्कार, बालागंज और प्रगति के सभी पदाधिकार्यों, सदस्यों और मेहमानों की उपस्थिति ने कार्यक्रम की गरिमा को भव्यता प्रदान करने में अपना योगदान दिया।