लखनऊ। देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश की 18वीं विधानसभा का पहला सत्र आज सोमवार से शुरू हो रहा है। राज्यपाल आनंदी बेन पटेल सुबह 11 बजे दोनों सदनों को संयुक्त रूप से विधानसभा मंडप में संबोधित करेंगी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने सदन को शंतिपूर्ण ढंग से चलाने की अपील सभी दलों से की है। मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी सरकार को सदन के बाहर व भीतर घेरने के लिए आक्रामक तेवर दिखाने की तैयारी में है। इस कारण सदन में हंगामा होने के भी आसार हैं।
प्रदेश सरकार जहां राज्यपाल के अभिभाषण के जरिये अगले पांच साल के कामकाज की योजनाएं प्रस्तुत करेगी, वहीं उम्मीद है कि चुनाव के दौरान किए गए वादों को अमली जामा पहनाया जाए। इसके तहत राज्य सरकार कई घोषणाए कर सकती है।
वहीं मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी का कहना है कि वह गरीबों के उत्पीड़न, महिलाओं एवं बच्चियों के साथ दुष्कर्म की बढ़ती घटनाओं, फर्जी एनकाउंटर और हिरासत में मौतों के अलावा बेलगाम महंगाई, राशन कार्डों की वापसी, किसान सम्मान राशि की वसूली, बढ़ते विद्युत संकट, स्वास्थ्य-शिक्षा क्षेत्र की बदहाली, गेहूं खरीद घोटाला, भर्ती में घोटाला एवं बेरोजगारी जैसे मुद्दे सदन में उठाएगी और चाहेगी कि इन पर चर्चा हो।
आगामी 26 मई को सदन में प्रदेश के वित्तमंत्री सुरेश कुमार खन्ना चालू वित्तीय वर्ष 2022-23 का पूर्ण बजट प्रस्तुत करेंगे। वित्त विभाग बजट को अंतिम रूप देने में जुटा हुआ है।
अधिकांश विभागों ने अपने जरूरी विभागीय खर्चों के अलावा प्रदेश सरकार के संकल्प पत्र में शामिल विभाग से जुड़ी घोषणाओं के लिए भी बजट मांगा है। किसानों को सिंचाई के लिए बिजली मुफ्त दिए जाने का संकल्प इसी बजट के माध्यम से सरकार पूरी कर सकती है।
बजट का आकार 6.5 लाख करोड़ के करीब होने का अनुमान है। यह अब तक का सबसे बड़ा बजट होगा। बजट में इंफ्रास्ट्रक्चर विकास पर खास फोकस दिख सकता है।
भाजपा सरकार अपने दूसरे कार्यकाल के इस पहले बजट में चुनाव के दौरान जनता के सामने प्रस्तुत किए गए ‘संकल्प पत्र’ के कुछ महत्वपूर्ण संकल्पों को पूरा करती हुई दिख सकती है।
किसानों, युवाओं, महिलाओं के लिए बजट में बहुत कुछ होने की उम्मीद की जा रही है। विकास से जुड़ी बड़ी परियोजनाओं को भी बजट के माध्यम से भरपूर धनराशि दिए जाने की उम्मीद है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा सरकार हर विषय पर चर्चा को तैयार है। जिस भी विषय को चर्चा के लिए अध्यक्ष द्वारा स्वीकार किया जाएगा, उसका पूरा जवाब सरकार देगी।
मुख्य विपक्षी नेता सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा केवल पांच या छह दिन के सत्र में आम जनता के मुद्दों पर चर्चा नहीं हो सकेगी। कम से कम 35 दिनों तक सत्र चले