गैंग्स ऑफ वासेपुर का मुख्य सरगना, गैंगस्टर फहीम खान के लिए शुक्रवार यानी जुम्मे का दिन काफी शुभ रहा। दरअसल, विगत 22 वर्षों से भी अधिक समय से जेल की हवा खा रहा 75 वर्षीय फहीम खान अब खुले आसमान के नीचे सांस ले सकेगा। उसकी रिहाई को लेकर झारखंड उच्च न्यायालय के न्यायाधीश अनिल कुमार चौधरी की अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश देते हुए छह महीने के भीतर उसे जेल से रिहा करने को कहा है।
गैंगस्टर फहीम खान की तरफ से सरवोच्च न्यायालय के अधिवक्ता अजीत कुमार सिन्हा ने पैरवी करते हुए दलील दी कि फहीम की उम्र अब 75 वर्ष से अधिक हो चुकी है, वह 22 वर्षों से अधिक समय से जेल में बंद है। इस दौरान वह दिल और गुर्दे की गंभीर बीमारियों से पीड़ित रहा है। बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने कोर्ट से आग्रह किया कि उसकी उम्र और सेहत को ध्यान में रखते हुए उसे रिमिशन सेंटेंस (सजा में छूट) के तहत रिहा किया जाए।
बता दें कि फहीम खान इस समय जमशेदपुर स्थित घाघीडीह जेल में बंद है और वासेपुर के सगीर हसन सिद्दीकी हत्याकांड में उम्रकैद की सजा काट रहा था। उसने 29 नवंबर 2024 को झारखंड उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर रिहाई की मांग की थी।
जिसके बाद राज्य सरकार ने इस मामले में एक रिव्यू बोर्ड गठित किया था, जिसमे फहीम खान को ‘समाज के लिए खतरा’ बताते हुए उसके रिहाई से इनकार कर दिया था। हालांकि, उच्च न्यायालय ने सुनवाई के दौरान फहीम की ओर से पेश की गई दलीलों को स्वीकार करते हुए रिहाई का आदेश जारी किया।
ज्ञात हो, फहीम खान का नाम पहली बार वर्ष 1989 में वासेपुर हत्याकांड में सामने आया था। 10 मई 1989 की रात सगीर हसन सिद्दीकी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। गवाहों के अनुसार, सगीर अपने दोस्त आलमगीर के घर के बाहर बैठा था, तभी फहीम खान अपने साथी छोटना उर्फ करीम खान और अरशद के साथ वहां पहुंचा और इसके बाद फहीम ने सगीर के सिर में गोली मार दी थी।
इस हत्याकांड में पुलिस ने फहीम खान सहित तीनों के खिलाफ न्यायालय में चार्जशीट दाखिल किया था। इसके बाद 15 जून 1991 को सेशन कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया, लेकिन बिहार सरकार ने इस फैसले को पटना हाईकोर्ट में चुनौती दी। पटना हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए फहीम खान को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी 21 अप्रैल 2011 को हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा।