अहमदाबाद। गुजरात के पंचमहल जिले की हलोल जिला अदालत ने गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के 35 आरोपियों को बरी कर दिया है। ये सभी तीन लोगों की हत्या के आरोपी थे। अपने आदेश में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश हर्ष त्रिवेदी ने कहा, धर्मनिरपेक्षता का झूठा लिबास ओढ़े कुछ मीडियाकर्मी और राजनेता इस दंगे को सुनियोजित बताकर जले पर नमक रगड़कर लोगों को भड़काने का काम करते रहे।
अदालत ने यह भी कहा किसी भी आरोपी के खिलाफ कोई सबूत नहीं हैं, लिहाजा सभी को बरी किया जाता है। कहा कि सांप्रदायिक दंगे के मामलों में अक्सर पक्षकारों की प्रवृत्ति विपरीत समुदाय के अधिक से अधिक लोगों को झूठे तरीके से फंसाने की रहती है लेकिन, यह देखना अदालत का कर्तव्य है कि निर्दोष व्यक्ति को न फंसाया जाए। इस तरह के मामलों में पुलिस दोनों समुदायों पर मुकदमा चलाती है लेकिन, अदालत को यह पता लगाना होता है कि दोनों में से कौन सही है।
दंगे साजिश नहीं, स्वत:स्फूर्त
इस दौरान अदालत ने झूठी-धर्मनिरपेक्ष मीडिया और राजनेताओं को फटकार लगाते हुए कहा कि साबरमती ट्रेन में आगजनी की घटना से शांतिप्रिय गुजराती स्तब्ध और क्षुब्ध थे लेकिन, नकली धर्मनिरपेक्ष मीडिया और राजनेताओं ने पीड़ित लोगों के जख्मों पर नमक रगड़ा। अदालत ने कहा कि गुजरात में हुए दंगे स्वतःस्फूर्त थे, इन्हें नियोजित नहीं कहा जा सकता।
इन जगहों पर भी भड़क गए थे दंगे
गौरतलब है कि गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस में तीर्थयात्रियों को जिंदा जलाकर मारने की घटना के बाद कलोल बस स्टैंड, देलोल गांव और देरोल स्टेशन के पास दंगे भड़क गए थे। जिनमें तीन लोगों की हत्या कर दी गई थी। इस मामले में कुल 52 लोगों को आरोपी बनाया गया था, जिनमें से 17 की मौत हो चुकी है। इस मामले में अदालत के सामने 130 गवाहों को भी पेश किया गया।