वाराणसी। वाराणसी के ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी मामले में वादिनी राखी सिंह के आवेदन पर गुरुवार को जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत का आदेश आ गया। ज्ञानवापी परिसर में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की ओर जारी सर्वे में मिले साक्ष्यों को सुरक्षित रखा जाएगा।अदालत ने इसके लिए टीम बनाकर निगरानी की बात भी कही। इसके अलावा अदालत ने एएसआई से यह भी कहा है कि सर्वे में मिले अब तक साक्ष्यों की एक सूची बनाकर जिला मजिस्ट्रेट और कोर्ट को सौंपे।
जिला जज की अदालत ने आदेश में कहा कि एएसआई सर्वे में मिले सभी साक्ष्य और अवशेषों को पूरी तरह से सुरक्षित रखा जाए ताकि जांच में पारदर्शिता रहे और आवश्यकता पड़ने पर इन्हें न्यायालय में प्रस्तुत किया जा सके। कोर्ट के इस आदेश पर मुस्लिम पक्ष यानी अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी ने आपत्ति दाखिल की है।
ज्ञानवापी परिसर में सर्वे का आज 40वां दिन
इधर, ज्ञानवापी में वजूस्थल को छोड़कर संपूर्ण परिसर का वैज्ञानिक सर्वे जारी है। गुरुवार को सर्वे का 40वां दिन है। वैज्ञानिक रूप से संरचनाओं की जांच करने के लिए कार्यशील फर्श के स्तर से ऊपर के मलबे आदि की सफाई जारी है। पुलिस और प्रशासनिक अफसरों के अनुसार दोनों पक्षों और उनके अधिवक्ताओं की मौजूदगी में सर्वे का काम शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा है।
सर्वे में वाराणसी, पटना, कानपुर, दिल्ली और हैदराबाद की टीमें शामिल हैं। एएसआई को छह अक्तूबर तक सर्वे कर रिपोर्ट अदालत में दाखिल करनी है। जिला जज की अदालत ने सभी पक्ष और अधिकारियों को इस मामले में बयानबाजी और टिप्पणी नहीं करने का आदेश दिया है।
ज्ञानवापी में अधिवक्ता आयुक्त के कमीशन और एएसआई सर्वे के दौरान मिले हिंदू धर्म से संबंधित चिह्नों और प्रतीकों के संरक्षण का वाद बीते अगस्त माह में मां श्रृंगार गौरी की वादिनी राखी सिंह ने दाखिल की थी।
वादिनी के अधिवक्ता सौरभ तिवारी और अनुपम द्विवेदी ने बताया कि यह आवेदन इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के क्रम में दिया गया था। आवदेन में कहा गया था कि प्रतिवादी अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी के लोग ज्ञानवापी में मौजूद हिंदू धर्म से संबंधित चिह्नों और प्रतीकों को नुकसान पहुंचाने व नष्ट करने की कोशिश कर रहे हैं।