रांची। झारंखड में हेमंत सरकार पेसा एक्ट लागू करने जा रही है। इसके लिए झारखंड सरकार ने 15 मई, दिन गुरुवार को पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार) अधिनियम, जिसे आमतौर पर पेसा अधिनियम के रूप में जाना जाता है। इस पर विभिन्न सामाजिक संगठनों के साथ विचार-विमर्श किया। अनुसूचित क्षेत्रों में आदिवासी समुदायों के अधिकारों को मान्यता देने वाला पेसा अधिनियम 1996 में लागू किया गया था। राज्य में इस कानून को अभी लागू किया जाना है।
राज्य के जनजातीय बहुल क्षेत्रों में पंचायतों को विशेष अधिकार देने वाली पेसा (पंचायत एक्सटेंशन टू शेड्यूल्ड एरियाज एक्ट) नियमावली सभी की सहमति से ही लागू की जाएगी। नियमावली त्रुटि रहित तथा ठोस होगी, ताकि बाद में उसपर कोई विवाद न हो। इसमें आदिवासी समुदाय के हितों को अनदेखा नहीं किया जाएगा तथा परंपरागत स्थानीय स्वशासन व्यवस्था के अधिकार भी बरकरार रहेंगे।
पेसा विचार गोष्ठी कार्यशाला का आयोजन
पेसा नियमावली के प्रविधानों को लागू करनेवाले प्रमुख विभागों के मंत्रियों ने यह आश्वासन मंगलवार को होटल रेडिसन में आयोजित ‘पेसा विचार गोष्ठी कार्यशाला’ में आदिवासी बुद्धिजीवियों, सामाजिक संगठनों एवं अन्य हितधारकों को दिया। मंत्रियों ने कहा कि इस कार्यशाला में जो भी सुझाव आए हैं, सरकार उन्हें लागू करने के लिए पेसा नियमावली के ड्राफ्ट में एक बार फिर संशोधन करेगी।
इससे पहले, कार्यशाला में आदिवासी बुद्धिजीवियों ने राज्य सरकार द्वारा जारी पेसा नियमावली के संशोधित ड्राफ्ट के कई प्रविधानों पर भी आपत्तियां दर्ज कीं। इस क्रम में उन्होंने कई सुझाव भी दिए। कहा गया कि पेसा नियमावली में झारखंड पंचायती राज अधिनियम 2011 के प्रविधानों को थोपा नहीं जाए।
खासकर परंपरागत स्वशासन व्यवस्था के अधिकारों का किसी भी हाल में हनन न हो। पेसा कानून लागू होने के इतने समय बाद भी नियमावली लागू नहीं होने पर भी सवाल उठाए। आठ समूहों के माध्यम से आए सुझावों एवं आपत्तियों को सुनने के बाद सभी मंत्रियों ने आश्वासन दिया कि पेसा एक्ट की भावना से खिलवाड़ नहीं होगा। परंपरागत स्वशासन व्यवस्था के साथ किसी तरह का छेड़छाड़ भी नहीं होगा।