वाराणसी। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव व एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि तुलसीदास के रामचरित मानस को हम धार्मिक नहीं कह सकते हैं। जिस प्रकार तमाम लोगों ने पुस्तकें लिखीं, उसी तरह रामचरित मानस भी एक काव्य है। इसलिए धर्मग्रंथ कहकर गाली देने और अपमानित करने की व्यवस्था को उचित नहीं ठहराया जा सकता है।
शनिवार देर रात वाराणसी पहुंचे सपा नेता ने कहा कि धर्म के नाम पर व्यवहारिक जीवन में रामचरित मानस प्रचलित है। इसका रोज पाठ होता है। पीएम और राष्ट्रपति को पत्र भेजकर निवेदन किया है कि महिलाओं, आदिवासियों, पिछड़ों व अनुसूचित जाति के सम्मान के विपरीत इस्तेमाल शब्दों को संशोधित या प्रतिबंधित किया जाए।
स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कोई भी अपने धर्म को सनातन बता सकता है, यह विषय बहस का नही है। अपने धर्म की तारीफ करना कोई गलत बात नहीं है। इस्लाम के सबसे प्राचीन धर्म होने के मौलाना मदनी के बयान पर मौर्य ने कहा जो जिस धर्म को मानता है उसकी तारीफ कर सकता है। इस्लाम धर्म पहले से था यह इतिहासकार बताते है।
किसी को अपमानित करना धर्म का हिस्सा नहीं
स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि मेरी मान्यता है कि धर्म का मायने कल्याण, जो मानवता के सशक्तीकरण के लिए होता है। किसी को अपमानित करना धर्म का हिस्सा नहीं हो सकता है। रामचरितमानस की कुछ चौपाइयों के अंश का विरोध रामचरितमानस का विरोध नही हो सकता।
सपा नेता लखनऊ से सड़क मार्ग से पूर्व मंत्री सुरेंद्र पटेल के प्रतिनिधि रहे कन्हैया राजभर के घर पहुंचे। पहाड़िया के एक होटल में रात्रि विश्राम किया। रविवार सुबह साढ़े नौ बजे वे सोनभद्र के लिए रवाना हो गए।
स्वागत करने वालों में निवर्तमान जिलाध्यक्ष सुजीत यादव, निवर्तमान महानगर अध्यक्ष विष्णु शर्मा, पूर्व मंत्री सुरेंद्र पटेल, एमएलसी आशुतोष सिन्हा, पूर्व विधायक उदय लाल मौर्या आदि शामिल रहे।