लखनऊ: यूपी की राजधानी से साइबर अपराध का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां साइबर जालसाजों ने रिटायर्ड IAS अफसर को “डिजिटल अरेस्ट” के नाम पर दो दिनों तक बंधक बनाए रखा और 12 लाख रुपये ठग लिए। मामला सामने आने के बाद साइबर थाने की पुलिस ने केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
कैसे फंसे रिटायर्ड IAS अधिकारी?
गोमतीनगर के विरामखंड-1 निवासी रिटायर्ड IAS कृपा शंकर गौतम को ठगों ने फोन कर खुद को पुलिस अधिकारी बताया और उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग केस में आरोपी ठहरा दिया। इसके बाद जालसाजों ने उन्हें लगातार वीडियो कॉल पर रखकर मानसिक दबाव बनाया और दो दिनों तक “डिजिटल अरेस्ट” में रखा। इस दौरान उनसे 12 लाख रुपये ऐंठ लिए गए।बताया जाता है कि कृपा शंकर गौतम केंद्रीय मंत्रालय से संयुक्त निदेशक के पद से रिटायर हुए हैं।
क्या है डिजिटल अरेस्ट?
“डिजिटल अरेस्ट” हाल के वर्षों में तेजी से बढ़ता साइबर फ्रॉड है। इसमें अपराधी खुद को पुलिस, सीबीआई (CBI), ईडी (ED), कस्टम्स या अन्य सरकारी एजेंसियों का अधिकारी बताकर पीड़ित को गिरफ्तार करने की धमकी देते हैं। वे पीड़ित को घंटों या दिनों तक वीडियो कॉल पर कैद रखते हैं और बाहर जाने या किसी से बात करने नहीं देते। इसका मकसद ब्लैकमेल करके पैसे या व्यक्तिगत जानकारी हड़पना होता है।
सावधानी ही बचाव है
विशेषज्ञों के मुताबिक, असली पुलिस या कोई भी सरकारी एजेंसी ऑनलाइन अरेस्ट नहीं कर सकती। अगर आपको ऐसा कोई कॉल मिले, तो तुरंत कॉल काटें और नजदीकी पुलिस थाने में जाकर जांच कराएं। जागरूकता ही इस तरह की ठगी से बचने का सबसे बड़ा उपाय है।