पटना। बिहार विधानसभा में फ्लोर टेस्ट 12 फरवरी से पहले सियासी घमासान जारी है। नई NDA सरकार बहुमत साबित करने की तैयारी में जुट गई है। जदयू और भाजपा का दावा है कि उनके विधायक एकजुट है। NDA में सबकुछ ठीक है।
वहीं पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की पार्टी का दावा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाईटेड के 17 विधायक लापता हैं। हालांकि, जदयू का भी दावा है कि हमें तोड़ने की ताकत किसी में नहीं है। भाजपा ने तो अपने सभी विधायकों को पटना में ही रहने का निर्देश दिया है। उधर, कांग्रेस के 17 विधायक अभी भी हैदाराबाद में ही हैं।
नीतीश कुमार सरकार के खिलाफ गेम प्लान लेकर तैयार बैठे हैं स्पीकर
इधर, राजद कोर्ट से विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठे अवध बिहारी चौधरी ने जब से इस्तीफा देने से इनकार किया, तब से सियासी तापमान बढ़ने लगा है। अवध बिहारी चौधरी ने खुद बता दिया है कि वह फ्लोर टेस्ट, यानी बहुमत परीक्षण के दिन (12 फरवरी) नीतीश कुमार सरकार के खिलाफ गेम प्लान लेकर तैयार बैठे हैं। राजनीतिक पंडित का मानना है कि राजद फ्लोर टेस्ट से पहले बड़ी तैयारी कर रही है। राजद जोड़-तोड़ की राजनीत कर सकती है।
जदयू के एक और भाजपा के दो विधायक को लोकसभा टिकट इच्छा
सियासी गलियारे में चर्चा है कि जदयू के एक चर्चित विधायक पिछले कई माह से लोकसभा चुनाव की तैयारी कर रहे हैं। वह कई बार खुलकर लोकसभा चुनाव लड़ने का एलान भी कर चुके हैं। यही हाल भाजपा में भी है। भाजपा के दो विधायक भी लोकसभा चुनाव लड़न चाहते हैं। इनमें से पहले विधायक ने तो हाल में अपनी ही पार्टी के सांसद के खिलाफ जाकर लोकसभा चुनाव के टिकट पर अपना दावा ठोक दिया। तर्क दिया था कि पिछले कई साल से वह विधायक रह चुके हैं।
जातीय गणना का हवाला देते हुए भाजपा की ओर से उन्होंने अपनी दावेदारी पेश की थी। वहीं दूसरे विधायक के संबंध अपनी ही पार्टी से सांसद और पड़ोसी विधायक से ठीक नहीं है। इनके बीच हुआ विवाद थाना तक पहुंच गया था। ये माननीय भी लोकसभा लड़ना चाहते हैं। अब सूत्रों का कहना है कि इन तीनों विधायकों को सांसद का टिकट अगर बड़ी पार्टी की ओर मिल जाए तो ये इस्तीफा दे देंगे। अगर ऐसा हुआ तो बिहार में बड़ा खेला होना संभव है।