नई दिल्ली। दिल्ली सरकार के अधीन आने वाले दीन दयाल उपाध्याय कॉलेज में ‘वेतन में कटौती’ का मुद्दा गरमाता जा रहा है। कॉलेज का नोटिस मीडिया में सामने आने के बाद से भाजपा केजरीवाल सरकार पर हमलावर है और इसके लिए दिल्ली सरकार के ‘रेवड़ी मॉडल’ को जिम्मेदार बता रही है।
अब दिल्ली यूनिवर्सिटी टीचर एसोसिएशन (डूटा) के पूर्व अध्यक्ष राजीब रे ने दावा किया है कि यह स्थिति 12 कॉलेजों में और 4 साल से फंड की कमी का सामना करना पड़ रहा है।
रे ने कहा, ”फंड के अभाव में वेतन में देरी हो रही है। दीन दयाल उपाध्याय कॉलेज समेत 12 कॉलेजों में पिछले 4 साल से शिक्षकों के वेतन में कटौती हो रही है या देरी से पेमेंट हो रहा है। एक साल में हमने 4-6 बार प्रदर्शन किया है। मेडिकल बिल का भुगतान नहीं किया जा रहा है। नॉन-टीजिंग स्टाफ को भी दिक्कत हो रही है।”
गौरतलब है कि मीडिया में दिल्ली यूनिवर्सिटी के दीन दयाल उपाध्याय कॉलेज का एक नोटिस आया है, जिसमें असिस्टेंट प्रोफेसर और प्रोफेसर की जुलाई की सैलरी में 30 से 50 हजार रुपए तक रोके जाने की बात कही गई है।
पैसों की कमी का हवाला देते हुए इसमें कहा गया है कि फंड आने के बाद रुका हुआ पैसा दिया जाएगा। 1990 में स्थापित हुए डीडीयू की 100 फीसदी फंडिंग दिल्ली सरकार करती है।
बीजेपी केजरीवाल सरकार पर हमलावर
डीडीयू में वेतन का कुछ हिस्सा रोके जाने की खबर सामने आने के बाद से भाजपा ‘आप’ सरकार पर हमलावर है। भाजपा इसे केजरीवाल सरकार के ‘रेवड़ी मॉडल’ का नतीजा बता रही है।
दिल्ली बीजेपी ने ट्वीट किया, ‘प्रचार करने में रेवड़ी बांटने में ‘आप’ ने छोड़ी नहीं कोई कसर। सैलरी के अभाव में शिक्षक कैसे करेंगे गुजर बसर? अब साफ दिखने लगा है ‘आप’ की मुफ्त रेवड़ी नीति का असर।”
एक अन्य ट्वीट में लिखा, ”शिक्षा पर नहीं शराब पर था ध्यान- फिर भी करते रहे AAP दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था का बखान।”