लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को यूपीएसएससी के जरिए चयनित नए कर्मियों को नियुक्ति पत्र सौंपे। इस मौके पर उन्होंने दावा किया कि बीते आठ वर्षों में उत्तर प्रदेश ने गुंडाराज और भय की छवि से मुक्त होकर देश की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में पहचान बनाई है।
पहले पहचान पर संकट, अब विकास की पहचान
सीएम योगी ने कहा कि आठ वर्ष पहले यूपी के लोगों को पहचान का संकट झेलना पड़ता था। राज्य को “बीमारू” और देश की प्रगति में बाधा बताकर देखा जाता था। उन्होंने कहा, “इतना बड़ा और समृद्ध राज्य, जहां ईश्वर ने बार-बार अवतार लिए, वह पहचान और भय के संकट से गुजर रहा था। त्योहारों के समय लोगों में उत्साह की बजाय डर बना रहता था।
आठ साल में बड़ा बदलाव
योगी ने बताया कि 2017 से पहले यूपी देश की आठवीं अर्थव्यवस्था थी, लेकिन आठ साल में इसे दूसरे स्थान पर लाने में सफलता मिली। उन्होंने कहा कि कानून-व्यवस्था में सुधार, दंगा और माफिया मुक्त माहौल ने बड़े निवेश आकर्षित किए। इसका लाभ छात्रों, युवाओं और उद्योगों को मिल रहा है।
ऐतिहासिक संदर्भ और गिरावट
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज से 400 साल पहले उत्तर प्रदेश देश का सबसे समृद्ध क्षेत्र था। 1947 में भी यह भारत की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी। लेकिन 1960 के बाद गिरावट शुरू हुई और 2016 तक योगदान घटकर केवल 8% रह गया। योगी ने पिछली सरकारों पर आरोप लगाया कि उन्होंने वोट बैंक और परिवारवाद की राजनीति कर राज्य को पीछे धकेला।सीएम ने कहा कि पहले नियुक्ति प्रक्रिया ही पूरी नहीं हो पाती थी। कोर्ट केस और घोटालों के कारण भर्ती अटकी रहती थी। “आज बिना विवाद के नियुक्तिपत्र मिल रहे हैं, दंगा-फसाद की आशंका खत्म हो चुकी है। यही नया उत्तर प्रदेश है।