लखनऊ। समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आज़म ख़ान को आखिरकार 23 महीने बाद सीतापुर जेल से रिहा कर दिया गया। उनकी रिहाई के समय बड़ी संख्या में समर्थक जेल के बाहर मौजूद थे। आज़म ख़ान को कुल 72 मामलों में ज़मानत मिली है। सुबह 7 बजे रिहाई तय थी, लेकिन दो मामलों में जुर्माना न भरने की वजह से प्रक्रिया अटक गई। जैसे ही रामपुर कोर्ट खुली और जुर्माना जमा हुआ, उसकी सूचना फैक्स से सीतापुर जेल प्रशासन तक पहुंची, जिसके बाद उन्हें सुबह 10 बजे के करीब रिहा किया गया।
10 साल की सज़ा पर मिली ज़मानत
डूंगरपुर मामले में आज़म ख़ान को 10 साल की सज़ा सुनाई गई थी, लेकिन इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उन्हें ज़मानत दे दी। इसके अलावा 19 अन्य मामलों में भी ज़मानत आदेश कोर्ट में दाखिल किए गए। वेरिफिकेशन पूरी होने के बाद रिहाई संभव हो पाई। राजनीतिक गलियारों में कयास लगाए जा रहे हैं कि वे 9 अक्टूबर को बसपा जॉइन कर सकते हैं।
लंबा केसों का सिलसिला
आज़म ख़ान पर पहली बार 2019 में लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान आपत्तिजनक बयान देने का आरोप लगा था। उस वक्त के जिलाधिकारी आंजनेय कुमार सिंह ने शिकायत दर्ज कराई थी। बाद में भड़काऊ भाषण के मामले में उन्हें 3 साल की सज़ा और जुर्माना भी भुगतना पड़ा।
फरवरी 2020 में उन्हें रामपुर जेल भेजा गया, सुरक्षा कारणों से बाद में सीतापुर जेल शिफ्ट किया गया। मई 2022 में ज़मानत मिली, लेकिन 18 अक्तूबर 2023 को एक अन्य केस में सज़ा होने के बाद उन्हें दोबारा जेल जाना पड़ा। अब तक उन पर कुल 104 केस दर्ज हो चुके हैं, जिनमें 93 केवल रामपुर में हैं। इनके अलावा पत्नी तंजीन फातिमा पर 35 और बेटे अब्दुल्ला आज़म पर 43 केस दर्ज हैं। 2022 में भड़काऊ भाषण मामले में 2 साल की सज़ा होने के कारण उनकी विधानसभा सदस्यता भी समाप्त हो गई थी।