देहरादून। उत्तराखंड की धामी सरकार ने 21 सितंबर 2025 को आयोजित अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की स्नातक स्तरीय प्रतियोगिता परीक्षा में नकल के आरोपों को गंभीरता से लेते हुए विशेष अन्वेषण दल (SIT) गठित किया है। यह दल पूरे प्रकरण की जांच करेगा और एक माह के भीतर रिपोर्ट सरकार को सौंपेगा।
क्या है मामला?
परीक्षा के दौरान प्रश्नपत्र के तीन पेज सोशल मीडिया पर वायरल हो गए थे। इस घटना के बाद बेरोजगार संघ ने आंदोलन छेड़ दिया और सीबीआई जांच की मांग रखी। मामले को गंभीरता से लेते हुए STF, देहरादून और हरिद्वार पुलिस ने कार्रवाई की और खालिद मलिक नामक युवक व उसकी बहन साबिया को गिरफ्तार कर पूछताछ शुरू की।मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर शासन ने इस मामले की गहन जांच के लिए SIT के गठन का निर्णय लिया।
SIT की संरचना
मुख्य सचिव आनंद वर्धन ने बताया कि जांच दल में हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश के साथ-साथ वरिष्ठ पुलिस अधिकारी शामिल होंगे।
अध्यक्ष: श्रीमती जया बलूनी, पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण), देहरादून
सदस्य: श्री अंकित कंडारी, क्षेत्राधिकारी, देहरादून
सदस्य: लक्ष्मण सिंह नेगी, निरीक्षक, स्थानीय अभिसूचना इकाई, देहरादून
सदस्य: श्री गिरीश नेगी, उप निरीक्षक/थानाध्यक्ष, रायपुर, देहरादून
सदस्य: श्री राजेश ध्यानी, उप निरीक्षक, साइबर पुलिस स्टेशन, देहरादून
अध्यक्ष आवश्यकता पड़ने पर अन्य अधिकारियों और विशेषज्ञों का सहयोग भी ले सकेंगे। यह दल पूरे प्रदेश में विभिन्न स्रोतों से मिली शिकायतों और सूचनाओं की पड़ताल करेगा।
‘नकल जिहाद’ पर सीएम धामी का सख्त संदेश
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मामले पर सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि “कुछ लोग षड्यंत्र के तहत सरकार को बदनाम करने के लिए नकल जिहाद का सहारा ले रहे हैं। सरकार ऐसी गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं करेगी। हमने सशक्त नकल-विरोधी कानून लागू किया है और अब तक सौ से अधिक नकल माफिया जेल भेजे जा चुके हैं। हमारी सरकार युवाओं के साथ खड़ी है। पारदर्शी परीक्षाओं के जरिए 25 हजार से अधिक युवाओं को सरकारी नौकरियां दी गई हैं। धामी सरकार का यह कदम राज्य में परीक्षाओं की पारदर्शिता सुनिश्चित करने और युवाओं का विश्वास बनाए रखने की दिशा में अहम माना जा रहा है।