यूपी की सियासत दिन पर दिन और गर्माती जा रही है। उत्तर प्रदेश में करारी मात के बाद अखिलेश की पार्टी में भारी उलटफेर होने की आशंकाएं बढ़ गयी हैं। चाचा शिवपाल सिंह यादव अपने पत्ते नहीं खोल रहे हैं, लिहाज़ा, अखिलेश की रातों की नींद और दिन का चैन उड़ गया है। समाजवादी पार्टी प्रमुख और अपने भतीजे अखिलेश यादव से नाराज चल रहे पीएसपीएल के प्रमुख शिवपाल सिंह यादव के बीजेपी में शामिल होने की चर्चा काफी दिनों से चल रही है। लेकिन अब तक इसपर मोहर नहीं लग सकी है। सभी की निगाहें इस वक़्त उत्तर प्रदेश में चल रहे सियासी घमासान पर टिकी हुई हैं। दवा किया जा रहा है कि बीजेपी के शिवपाल सिंह यादव को सौपे गए मिशन में अब आज़म खान की भी एंट्री हो गई है।
शिवपाल इस मिशन में सफल होते नज़र आने लगे हैं जिससे अमित शाह और योगी काफी खुश हैं, और हो भी क्यों ना, यूपी की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी की नीव कमज़ोर करने में शिवपाल बीजेपी का सहारा बन रहे हैं। बीजेपी ने इतिहास में पहली बार एक करिश्मा कर दिखाया है। और इस करिश्मे का श्रे शिवपाल यादव को ही जाता है।
आज हम आपको बताएंगे की आखिर शिवपाल-आज़म खान संग मिलकर क्या दाव खेलने जा रहे हैं?
वैसे तो आज़म खान फिलहाल सीतापुर की जेल में कैद है, लेकिन उनके समर्थक अखिलेश यादव के खिलाफ ज़हर उगल रहे हैं। जानकारी है की शिवपाल और आज़म खान के बीच बात चीत हुई है। इस बात चीत में आज़म खान ने एक नया मोर्चा बनाने की सलाह दी थी। इसके चलते शिवपाल को बीजेपी का दामन थामने से भी रुकने को कहा था। लेकिन शिवपाल ने आज़म खान को भी बीजेपी के रंग में ढाल लिया। उन्होंने आज़म खान को भी बीजेपी ज्वाइन करने का ऑफर दे डाला। इसके बाद से ही आज़म खान के समर्थक सपा के खिलाफ बोलने का एक भी मौका नहीं छोड़ रहे हैं। योगी बाबा की सरकार में आज़म खान का कला वक़्त चल रहा है और आगे भी इस प्रकोप से निजाद पाने का रास्ता उन्हें नज़र नहीं आ रहा है। ऐसे में दवा है कि शिवपाल ने आज़म को भरोसा दिलाया है कि अगर सपा छोड़ वो बीजेपी से हांथ मिलते हैं, तो योगी से सिफारिश कर उन्हें सलाखों से मुक्त करा दिया जाएगा।
आखिर क्या है शिवपाल का यूपी मिशन?
अखिलेश यादव को MLC की छत्तीस में से एक भी सीट हासिल नहीं हुई है। सपा के दर्जनों उम्मीदवारों की ज़मानत जप्त हो गई है। आज़म खान का इलाका रामपुर और अखिलेश का गड कहलाये जाने वाले इटावा से अखिलेश की ख़ास उमीदें जुडी थीं, लेकिन नतीजे विपरीत ही निकले। वहां भी हार का सामना करना पड़ा। इस हार का ठीकरा शिवपाल और अखिलेश के सर फोड़ा जा रहा है। अखिलेश को लगा था शिवपाल की नाराज़गी महज़ छोटी सी नाराज़गी है। लेकिन शिवपाल अंदर ही अंदर बड़ी छलांग की तैयारी कर रहे हैं। इसी का नतीजा है की MLC की छत्तीस की छत्तीस सीटों पर सपा का सफाया हो गया है।
डगमगाएगा सपा का एमवाई फैक्टर
अब कयास लगाए जाने लगे हैं की शिवपाल और आज़म खान एक खेमे में आ सकते हैं। शिवपाल आज़म खान के करीबी नेताओं के लगातार संपर्क में हैं। इन दोनों नेताओं का मुस्लिम और यादव वोट बैंक पर खासा प्रभाव है। इसे सपा का ‘MY Factor’ कहा जाता है। ये ही फैक्टर सपा की साइकिल का सबसे बड़ा सहारा है। जो की अब पंचर होती नज़र आ रही है। शिवपाल पहले ही दिल्ली में बीजेपी आलाकमान से मुलाक़ात कर चुके है। MLC चुनाव में बीजेपी की सपा के गढ़ में जीत शिवपाल के सहारे ही मुमकिन हो सका है। इटावा शिवपाल यादव का इलाका कहा जाता है। जब दिल्ली और लखनऊ पर मुलायम सिंह यादव का ध्यान था, तब से ही शिवपाल इस ज़मीन से जुड़े हुए हैं। अब सपा की मात से अखिलेश का चैन छीन चुका है, लेकिन शिवपाल की ख़ुशी बढ़ती जा रही है। चाचा को किनारे करोगे तो चाचा तुम्हें तारे दिखा देगा, इस बात को शिवपाल साबित कर रहे हैं। शिवपाल ने अखिलेश का सियासी खेल अपने षडियंत्र के ज़रिये बिगाड़ दिया है। सूत्र कहते हैं कि बीजेपी आज़म खान को अपनी पार्टी का हिस्सा कभी नहीं बनाएगी लेकिन शिवपाल उन्हें अपनी पार्टी में शामिल कर बीजेपी से जोड़ सकते हैं। अगर अब भी अखिलेश नहीं सम्भले तो एक वक़्त आएगा, जब यूपी में सपा के सभी बड़े नेता एक एक कर योगी बाबा के रस्ते चलने लगेंगे।