नई दिल्ली। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को आमलकी एकादशी कहा जाता है। इस दिन रंग पंचमी का पर्व भी मनाया जाता है। आमलकी एकादशी का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने के साथ-साथ आंवला के पेड़ की पूजा करने का विधान है।
आमलकी एकादशी तिथि और शुभ मुहूर्त
फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि आरंभ- 2 मार्च को सुबह 6 बजकर 39 मिनट से शुरू
फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि समाप्त- 3 मार्च को सुबह 9 बजकर 1 मिनट तक
तिथि- उदया तिथि के हिसाब से आमलकी एकादशी 3 मार्च 2023 को मनाई जाएगी।
पूजा का शुभ समय- सुबह 06 बजकर 45 मिनट से 11 बजकर 06 मिनट तक
आमलकी एकादशी पर बन रहे तीन शुभ योग
सर्वार्थ सिद्धि योग- सुबह 06 बजकर 45 मिनट से दोपहर 3 बजकर 43 मिनट तक
सौभाग्य योग- सुबह से लेकर शाम 6 बजकर 45 मिनट तक
शोभन योग- शाम 6 बजकर 45 मिनट से शुरू होगा।
आमलकी एकादशी व्रत का पारण 4 मार्च को सुबह 6 बजकर 44 मिनट से 9 बजकर 3 मिनट तक कर सकते हैं।
आमलकी एकादशी का महत्व
आमलकी एकादशी का व्रत काफी खास माना जाता है। माना जाता है कि आमलकी एकादशी आंवले के पेड़ की उत्पत्ति से संबंधित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान विष्णु ने सृष्टि की रचना के लिए ब्रह्मा जी को रचा था। इसके साथ ही आंवले के वृक्ष का भी जन्म हुआ था।
माना जाता है कि आमलकी एकादशी के दिन आंवले के पेड़ की पूजा करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही हर तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती है। इस दिन आंवले के पौधे को लगाने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।