नई दिल्ली। न्याय के देवता शनि आज 17 जनवरी को अपनी मूल त्रिकोण राशि कुंभ में गोचर कर चुके हैं और अब यह आज ही कुंभ राशि में वक्री होने जा रहे हैं। शनि की यह वक्री चाल 4 नवंबर 2023 तक रहेगी फिर इसके बाद कुंभ राशि में ही मार्गी हो जाएंगे।
वैदिक ज्योतिष में शनि ग्रह को विशेष स्थान प्राप्त है। यह सौरमंडल में बृहस्पति के बाद दूसरा सबसे बड़ा और धीमी गति से चलने वाला ग्रह है। वक्री होने पर शनि सामान्य स्थिति की तुलना में अधिक शक्तिशाली और प्रभावशाली हो जाते हैं और कई तरह के सकारात्मक व नकारात्मक परिणाम देते हैं और इसका प्रभाव पूरी दुनिया में देखने को मिलेगा।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि का वक्र गति में प्रवेश मौसम में परिवर्तन लाता है। तेज हवाओं के साथ तूफानी योग निर्मित हो रहा है। शनि के वक्री होने से भारत की ओर कई तूफान रुख कर सकते हैं एवं तटीय क्षेत्रों से टकराकर भारी तबाही मचा सकते हैं।
सूर्य के आर्द्रा प्रवेश 22 जून के पूर्व शनि के वक्री होने से मानसून को जबरदस्त ऊर्जा, मिलेगी जिससे भारी वायु वेग के साथ बारिश होगी। ज्योतिषाचार्यों ने बताया कि शनि को न्याय प्रदाता और कर्मफल दाता के रूप में जाना जाता है, क्योंकि यह व्यक्ति को उसके कर्मों के आधार पर शुभ और अशुभ फल प्रदान करते हैं।
शनि ग्रह अब अपनी ही राशि कुंभ में गोचर कर रहे हैं और यह 17 जून 2023 को रात 10 बजकर 48 मिनट पर वक्री गति में प्रवेश करेंगे, जिससे हर राशि के जातकों का जीवन प्रभावित होगा।
शनि वक्री का देश-दुनिया पर असर
- अनाज की अच्छी पैदावार के साथ बाजार में उछाल आने के आसार हैं।
- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की प्रगति होगी, लेकिन प्राकृतिक आपदा प्रभावित कर सकती है।
- आतंकी घटनाएं बढ़ सकती हैं।
- महत्वपूर्ण पद वालों को सुरक्षा और सेहत का खासतौर से ध्यान रखना होगा।
- अस्थिरता बढ़ सकती है. बीमारियों के इलाज में भी नए-नए आविष्कार होंगे।
- नई-नई दवाइयां और तकनीक विकसित होगी।
- सत्ता संगठन में बदलाव होंगे।
- पूरे विश्व में सीमा पर तनाव शुरू हो जायेगा।
- देश में आंदोलन, हिंसा, धरना प्रदर्शन हड़ताल, बैंक घोटाला, विमान में खराबी, उपद्रव और आगजनी की स्थितियां बन सकती है।
- प्राकृतिक आपदा के साथ अग्निकांड, भूकंप, गैस दुर्घटना, होने की संभावना है।