प्रादेशिक
योगी सरकार ने की देश के सबसे बड़े मुफ्त राशन वितरण अभियान की शुरूआत
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने गरीबों और जरूरतमंदों को राहत पहुंचाने के लिए गुरुवार को देश के सबसे बड़े मुफ्त राशन वितरण अभियान की शुरुआत की। अभियान के शुरु होते ही सरकारी राशन दुकानों से हर कार्ड धारक को 3 किलो गेहूं के साथ 2 किलो चावल मिलने लगा। सरकार की तरफ से 2 महीने का मुफ्त राशन मिलने पर कार्ड धारकों के चेहरे खिल गये, उनकी खुशी का ठिकाना नहीं है। लोगों ने विषम परिस्थितियों में सरकार की ओर से की गई मदद के लिये मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का धन्यवाद दिया। योजना के तहत यूपी में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना से जुड़े 15 करोड़ पात्र कार्ड धारकों को 2 महीने का मुफ्त राशन दिया जाना है। अभियान में पात्र गृहस्थी योजना के 13,41,77,983 कार्ड धारकों और अंत्योदय अन्न योजना के 1,30,07,969 पात्रों को भी मुफ्त राशन वितरण योजना का लाभ मिलेगा।
देश के सबसे बड़े मुफ्त राशन वितरण अभियान में यूपी के कार्ड धारकों के अलावा पोर्टबिलिटी के आधार पर कोई भी पात्र कार्ड धारक प्रदेश की सरकारी राशन दुकानों से मुफ्त राशन प्राप्त कर सकेगा। मई महीने का राशन वितरण गुरुवार से शुरू हुआ जो 31 मई तक चलेगा। 29 से 31 मई तक पोर्टबिलिटी के आधार पर पात्र लोगों को राशन वितरण किया जाएगा। योगी सरकार के निर्देश पर मुफ्त राशन वितरण की प्रक्रिया को पारदर्शी और भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए ई-पास मशीनों का प्रयोग किया है। योगी सरकार ने मुफ्त राशन वितरण अभियान के लिए बड़े स्तर पर तैयारी की है। गौरतलब है कि कोरोना की पहली लहर के दौरान भी योगी सरकार ने पात्र कार्ड धारकों को 8 महीने तक मुफ्त राशन वितरण किया था। 5 किलो खाद्यान्न प्रति यूनिट की दर से राज्य सरकार ने सरकारी दुकानों से पिछले साल अप्रैल से नवंबर तक 60 लाख मी टन खाद्यान्न का मुफ्त वितरण किया था, जो कि देश में एक रिकार्ड है ।
सीएम योगी के निर्देश पर यूपी के विभिन्न जिलों में मुफ्त राशन वितरण अभियान की निगरानी के लिए तैनात प्रदेश सरकार के मंत्री, विधायकों और अफसरों ने राशन वितरण अभियान की शुरुआत कराई। मुफ्त राशन वितरण में कोई परेशानी न हो इसकी निगरानी अफसर करने में लगे रहे। वितरण के दौरान कोरोना प्रोटोकॉल का पूरा ध्यान रखे जाने के बारे में लोगों को जागरूक किया गया। राशन वितरण की निगरानी के लिए सरकारी दुकानों पर नोडल अधिकारी भी तैनात रहे।
प्रदेश की लगभग 80 हजार सरकारी राशन दुकानों तक खाद्यान्न पहुंचाने के साथ वहां कोविड प्रोटोकाल के पालन पर भी पूरा जोर दिया गया। ई पास मशीनों के इस्तेमाल से पहले लोगों से सेनिटाइजेशन कराया गया। एक दुकान पर एक समय में अधिकतम 5 उपभोक्ता ही मौजूद रहे इसका भी दुकानदाराें ने पालन कराया। खाद्यान्न वितरण में सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखा गया। टोकन वितरित किये गये जिससे दुकानों पर भीड़ न जुट सके। राज्य सरकार के निर्देश पर राशन दुकान पर सेनिटाइर, साबुन और पानी की उपलब्धता भी देखी गई।
उत्तर प्रदेश
योगी सरकार टीबी रोगियों के करीबियों की हर तीन माह में कराएगी जांच
लखनऊ | योगी सरकार ने टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों एवं पूर्व टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया है। यह स्क्रीनिंग हर तीन महीने पर होगी। वहीं साल के खत्म होने में 42 दिन शेष हैं, ऐसे में वर्ष के अंत तक हर जिलों को प्रिजेंम्टिव टीबी परीक्षण दर के कम से कम तीन हजार के लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिये हैं। इसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने सभी जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को पत्र जारी किया है।
लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को किया जा रहा और अधिक सुदृढ़
प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे मेें टीबी रोगियों की युद्धस्तर पर स्क्रीनिंग की जा रही है। इसी क्रम में सभी डीटीओ डेटा की नियमित माॅनीटरिंग और कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान देने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का लक्ष्य टीबी मामलों, उससे होने वाली मौतों में कमी लाना और टीबी रोगियों के लिए परिणामों में सुधार करना है। ऐसे में इस दिशा में प्रदेश भर में काफी तेजी से काम हो रहा है। इसी का परिणाम है कि इस साल अब तक प्रदेश में टीबी रोगियों का सर्वाधिक नोटिफिकेशन हुआ है। तय समय पर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को और अधिक सुदृढ़ किया गया है।
कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग से टीबी मरीजों की तेजी से होगी पहचान
राज्य क्षय रोग अधिकारी डाॅ. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि टीबी के संभावित लक्षण वाले रोगियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग को बढ़ाते हुए फेफड़ों की टीबी (पल्मोनरी टीबी) से संक्रमित सभी लोगों के परिवार के सदस्यों और कार्यस्थल पर लोगों की बलगम की जांच को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग जितनी ज्यादा होगी, उतने ही अधिक संख्या में टीबी मरीजों की पहचान हो पाएगी और उनका इलाज शुरू हो पाएगा। इसी क्रम में उच्च जोखिम वाले लोगों जैसे 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, डायबिटीज रोगियों, धूम्रपान एवं नशा करने वाले व्यक्तियों, 18 से कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले व्यक्तियों, एचआईवी ग्रसित व्यक्तियों और वर्तमान में टीबी का इलाज करा रहे रोगियों के सम्पर्क में आए व्यक्तियों की हर तीन माह में टीबी की स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिये गये हैं।
हर माह जिलों का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने के निर्देश
टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए नैट मशीनों का वितरण सभी ब्लाॅकों पर टीबी की जांच को ध्यान रखने में रखते हुए करने के निर्देश दिये गये हैं। साथ ही उन टीबी इकाइयों की पहचान करने जो आशा के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं उनमें सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया गया है। क्षेत्रीय टीबी कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई (आरटीपीएमयू) द्वारा हर माह में जनपदों का भ्रमण करते हुए वहां की स्थिति का जायजा लेने के भी निर्देश दिए हैं।
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